
वैसे तो बुंदेलखंड से लेकर मुंबई तक बांदा जिला अपने लठैतों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। इसका मतलब यह भी नहीं है कि यहां के निवासी लड़ाकू होते हैं, उनका लठैत होना बताता है कि वे साहसी होते हैं। इसके साथ ही बुंदेलखंड अब महिलाओं के संघर्ष को विदेशों तक पहचान देने का पड़ाव भी है। यहीं पर जन्मी संपत पाल के गैंग का विदेशों में नाम फैला है। यही कारण है कि लंदन सरकार ने इस गैंग से संपर्क किया है।
पूरे देश में गैंग बना चुका है अपनी पहचान
बांदा में महिलाओं का एक पूरा गैंग है। जो अब पूरे देश में फैल चुका है। इसकी हर सदस्य ‘बाहुबली’ है। इसका नाम है गुलाबी गैंग, इसमें 11 लाख से ज्यादा महिला सदस्य हैं। इस गैंग का काम पीड़ित महिलाओं के हक के लिए लड़ना है। यानी जहां भी महिला को परेशान किया जाता है। वहां यह गैंग पहुंच जाता है। पीड़ित महिला की बात को पुरजोर तरीके से उठाया जाता है। जब तक उसे न्याय नहीं मिलता, गैंग महिला के साथ डटकर खड़ा रहता है। इस गैंग पर 2014 में एक फिल्म भी बन चुकी है। फिल्म का नाम भी गुलाब गैंग ही था
महिलाओं के हक के लिए संगठन उठाता है आवाज
शोषित महिलाओं के हक दिलाने को लेकर बनाए गए इस गैंग की अब विदेशों में भी चर्चा हो रही है। विदेशी सरकारें इस गैंग के बहाने विश्व को महिला के आत्मनिर्भर होने का संदेश देना चाहती हैं। बांदा के बदौसा निवासी गुलाबी गैंग की मुखिया संपत पाल ने बताया कि उनसे पिछले दिनों लंदन में केंसिंग्टन हाई स्ट्रीट स्थित डिजाइन संग्रहालय क्यूरेटोरियल प्रमुख प्रिया खानचंदानी और गाजियाबाद में रह रहीं कनाडा के एसोसिएट क्यूरेटोरियल यानी प्रबंधन से कुछ दिन पहले जूम पर बात हुई थी।
गैंग का परिधान और डंडा भेजा गया ब्रिटिश
संपत ने बताया "जूम पर उन लोगों ने लंदन संग्रहालय में गुलाबी गैंग परिधान छह माह प्रदर्शनी में रखने की इच्छा जताई थी। एसोसिएट क्यूरेटोरियल ने परिधान गाजियाबाद पते पर मंगाए हैं, जहां से लंदन में संग्रहालय भेजे जाएंगे।" उन्होंने बताया "16 मार्च को बेटे कामता प्रसाद की पत्नी और गैंग की फतेहपुर जिला कमांडर बीनू पाल ने फतेहपुर से कोरियर के जरिए गाजियाबाद पते पर कनाडा निवासी एसोसिएट क्यूरेटोरियल के पास एक जोड़ी परिधान भेज दिए हैं। इसमें गुलाबी गैंग के सदस्यों का परिधान जैसे जॉर्जेट की साड़ी, सूती कपड़े, ब्लाउज और पेटीकोट के साथ डंडा है।"
आइए अब जानते हैं वे तीन घटनाएं, जिसने गैंग को दिलाई पहचान
1. साल 2006 में गैंग की सुशीला नाम की सदस्य के पति प्यारेलाल को अंतर्रा थाने की पुलिस ने पकड़ा। 11 दिन बैठाए रही। संपत थाने पहुंचीं और 300 महिलाओं को कुत्तों के साथ बुलाया। महिलाओं की इतनी भीड़ देखकर पुलिस ने सुशीला के पति को छोड़ दिया। यहां गुलाबी गैंग की पहचान खुली।
2. साल 2008 में संपत गैंग की महिलाओं के साथ बिजली ऑफिस पहुंची। एसडीओ ने कहा- सरकार से बिजली मांगो। इसपर इस गैंग की महिलाओं ने एसडीओ को ही ऑफिस में बंद कर दिया। सूचना पर पहुंचे बड़े अधिकारियों ने काफी मिन्नतें की। इसके बाद गैंग ने एसडीओ को खोला।
3. साल 2017 में छिंदवाडा गैंग प्रभारी पूर्णिमा ने स्टेशन पर शराब की आठ दुकानों से महिलाओं को होने वाली समस्या बताई। गैंग के साथ संपत छिंदवाड़ा पहुंचीं। जहां उन्होंने शराब की दुकानें हटवाने के लिए प्रदर्शन किया। इसके बाद प्रशासन को दुकानें हटवानी पड़ीं।
Updated on:
30 Mar 2023 05:16 pm
Published on:
29 Mar 2023 05:24 pm
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