
Transferred to jailer without joining officers afraid of going to Banda jail
उत्तर प्रदेश के जेल अधीक्षक आखिर बांदा का चार्ज संभालने से क्यों डरते हैं? यहां तैनात किए गए तीसरे अधीक्षक ने भी ज्वाइन किए बिना ही तबादला करा लिया है। उन्हें बाराबंकी जेल भेजा जा रहा है। इससे पहले दो अधीक्षक बांदा से कतरा कर जा चुके हैं। 17 अक्टूबर 2021 से जेल प्रभारी अधीक्षक के भरोसे है। इसी जेल में चर्चित माफिया मुख्तार अंसारी बंद है। जिसकी वजह से बांदा जेल उप्र की सबसे संवेदनशील जेलों में शामिल है। तीसरा मौका है, जब तैनाती मिलने के बाद किसी अधीक्षक ने बांदा जेल संभालने से किनारा कर लिया है। बीते माह लखीमपुर खीरी से पवन प्रताप सिंह को बांदा ट्रांसफर किया गया था। उन्होंने अब तक चार्ज नहीं संभाला। डीआईजी जेल संजीव त्रिपाठी ने बताया कि पवन प्रताप सिंह का बांदा मंडल कारागार स्थानांतरण हुआ था। अब उनका बारांबकी कारागार स्थानांतरण किया गया है।
माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से लाने के बाद से बांदा मंडल कारागार हाई सिक्योरिटी जेलों में शुमार है। तभी से अधीक्षकों के कतराने का सिलसिला भी शुरू हुआ। पिछले साल 16 मई को उन्नाव से जेल अधीक्षक एके सिंह का बांदा ट्रांसफर हुआ। वह 17 अक्तूबर को मेडिकल लीव पर चले गए, फिर लौटकर नहीं आए। 12 नवंबर को बरेली से विजय विक्रम सिंह को बांदा ट्रांसफर किया गया। वे एक दिन के लिए भी नहीं आए। 29 नवंबर को उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। तब से प्रभारी जेल अधीक्षक के रूप में जेलर वीरेन्द्र वर्मा काम कर रहे हैं। बीते जून में शासन ने लखीमपुर खीरी से पवन प्रताप सिंह को बांदा ट्रांसफर किया। वह भी ज्वाइन करने नहीं आए। अब उनका स्थानांतरण बाराबंकी हो गया है।
सस्पेंड रहने के दौरान लखनऊ स्थित संपूर्णानंद प्रशिक्षण संस्थान से संबद्ध किए गए विजय विक्रम सिंह को कासगंज और मेडिकल लीव के बाद नहीं लौटे एके सिंह को फिरोजाबाद कारागार में तैनाती मिली है।
तन्हाई बैरक में बंद मुख्तार अंसारी की आवभगत में बीते माह यहां के पांच कर्मचारियों पर गाज गिरी थी। डीएम और एसपी की संयुक्त जांच रिपोर्ट पर डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप सिंह और चार बंदी रक्षक निलंबित किए गए थे। इससे पहले बीते वर्ष छह जून की शाम कारागार से एक बंदी भी गायब हो चुका है जो सात जून को शाम चार बजे नाटकीय ढंग से जेल के अंदर ही बरामद दर्शाया गया। चोरी के आरोपित ने 24 घंटे लापता रहकर हाई सिक्योरिटी जेल की सुरक्षा की पोल खोल दी थी।
माना जा रहा है कि मुख्तार अंसारी की वजह से कोई अफसर इस जेल में नहीं रुकना चाहता। बागपत में 09 जुलाई 2018 को मुख्तार के करीबी मुन्ना बजरंगी की गैंगवार में हत्या हो गई थी। पिछले साल 14 मई को चित्रकूट जेल में वसीम काला व मेराजुद्दीन की गैंगवार में हत्या कर दी गई। इन मामलों में अफसर व जेल स्टाफ कार्रवाई की जद में फंसे। मुख्तार की सुरक्षा को खतरा और खुद मुख्तार के अपराध में सक्रिय होने की वजह से अफसर दोतरफा खतरा महसूस करते हैं।
Updated on:
13 Jul 2022 10:43 am
Published on:
13 Jul 2022 10:41 am
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