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2 से 4 घंटे रोजाना बिजली कटौती की आशंका

राज्य में बिजली आपूर्ति का संकट गहराने की संभावना चिंताजनक: ताप ऊर्जा संयंत्रों के बिजली उत्पादन में 60 फीसदी गिरावट

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2 से 4 घंटे रोजाना बिजली कटौती की आशंका

बेंगलूरु. अगर राज्य के रायचूर, बल्लारी उडुपी तथा येरमरस ताप ऊर्जा बिजली उत्पादन केंद्रों को पर्याप्त कोयले की आपूर्ति नहीं होती है तो बिजली आपूर्ति का संकट गहराने की प्रबल संभावना है। दीपावली के त्यौहार के दिनों में ही राज्य में बिजली की आपूर्ति में कटौती होने की संभावना है। नवम्बर के पहले सप्ताह में ही राज्य के विभिन्न बिजली आपू्र्ति निगमों में प्रति दिन 2 से 4 घंटों तक बिजली आपूर्ति में कटौती हो सकती है।

कर्नाटक ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक जी. कुमार नायक के मुताबिक राज्य में ताप उर्जा बिजली संयंत्रों में 1740 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है। लेकिन ओडिशा, छत्तीसगढ़ तथा महाराष्ट्र से पर्याप्त मात्रा में कोयले की आपू्र्ति नहीं होने के कारण इन केंद्रों के बिजली उत्पादन में 60 फीसदी तक गिरावट आयी है।

रायचूर ताप ऊर्जा संयंत्र की 8 में से दो इकाइयां कोयले के अभाव में बंद करनी पड़ी हैं। यहां पर 6 इकाइयों में केवल 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन संभव हो रहा है। अगर कोयले की आपू्र्ति में सुधार नहीं होता है तो इन केंद्रों में बिजली के उत्पादन में और गिरावट हो सकती है। ऐसे में राज्य भर में में बिजली आपूर्ति में कटौती अनिवार्य होगी। केंद्र सरकार के साथ समझौते के तहत राज्य को 2 लाख टन कोयले की आपूर्ति होनी है, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार की ओर से केवल 10 हजार टन कोयले की आपूर्ति संभव हुई है।


बेंगलूरु शहर में भी कटौती अनिवार्य
बेस्कॉम की प्रबंध निदेशक सी. शिखा के मुताबिक मांग के अनुपात में बिजली की आपू्र्ति नहीं होने के कारण पहले चरण में बेस्कॉम की व्याप्ति में शामिल ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति दिन 4 घंटे की बिजली कटौती करने का प्रस्ताव है।

बेस्कॉम क्षेत्र में बिजली की अधिकतम मांग 4200 मेगावाट है। लेकिन अभी निगम को कर्नाटक स्टैट लोड डिस्पैच सेंटर (केएसएलडीसी) की ओर से 3800 से 4000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति हो रही है। मांग तथा आपूर्ति के बीच काफी अंतर होने के कारण आनेवाले दिनों में बेंगलूरु शहर तथा आस-पास के क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति में कटौती अनिवार्य होगी।

सौर ऊर्जा केंद्रों में 1000 मेगावाट बिजली उत्पादन संभव है, लेकिन इन केंद्रों में बिजली का उत्पादन केवल दिन में ही होता है। जबकि शहर में रात के समय में बिजली की मांग अधिक होती है ऐसे में सौर उर्जा केंद्रों पर निर्भरता संभव नहीं है।


केंद्र सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा कि राज्य के ताप ऊर्जा संयंत्रों को पर्याप्त कोयला आपूर्ति की मांग को लेकर उन्होंने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा था। लेकिन अभी तक इस मामले को लेकर केंद्र सरकार ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

राज्य के ताप ऊर्जा संयंत्रों को मांग के अनुपात में कोयले की आपूर्ति नहीं होने से इन इकाइयों में बिजली उत्पादन लगातार घट रहा है। उन्होंने बुधवार को इस मामले को लेकर ऊर्जा विभाग के अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में बिजली आपूर्ति के संकट को दूर करने के लिए विचार-विमर्श किया जाएगा।


मांग तथा उत्पादन में बढ़ता फासला
कर्नाटक ऊर्जा निगम के सूत्रों के मुताबिक राज्य में बिजली की मांग 5000 मेगावाट है। पनबिजली, ताप ऊर्जा संयंत्र तथा गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों से अभी राज्य में 4000 मेगावाट तक बिजली उत्पादन संभव हो रहा है। पन बिजली उत्पादन केंद्रों पर दबाव को टालने के लिए राज्य के रायचूर, बल्लारी, येरमरस तथा उडुपी ताप ऊर्जा केंद्रों में अधिक बिजली का उत्पादन किया जाता है।

लेकिन यहां पर अपेक्षित मात्रा में कोयले की आपूर्ति नहीं होने के कारण ताप ऊर्जा संयंत्रों की इकाइयां बंद करने की नौबत आने से बिजली उत्पादन में गिरावट हो रही है। ऐसी विषम स्थिति में राज्य के लिए तुमकूरु जिले के पावगड़ तहसील में स्थापित सौर ऊर्जा केंद्र आशा का किरण बना हुआ है।