उधर, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि दूध और दही की कीमतों में बढ़ोतरी की कोई जरूरत नहीं है। विक्रेता इनपुट क्रेडिट का दावा कर सकते हैं। चावल, दही, लस्सी सहित कई दैनिक उपयोगी चीजों पर जीएसटी लगाने के कारण मूल्य वृद्धि को लेकर पूछे गए सवाल पर बोम्मई ने कहा कि इसे उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जा सकता। बोम्मई ने कहा कि वे जीएसटी परिषद में इस बात पर चर्चा कर डीलरों को स्पष्ट संदेश देने की अपील करेंगे कि डिब्बाबंद और लेबल वाली सामग्रियों पर लगाए गए जीएसटी का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाए। कीमतों में बढ़ोतरी की कोई जरूरत नहीं है। कंपनियों को पहले जीएसटी नहीं होने के कारण इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं मिलता था मगर अब वे प्रतिपूर्ति का दावा कर सकते हैं।
दरअसल, दिन भर सोशल मीडिया पर दही, लस्सी, छाछ आदि की कीमतों में वृद्धि का मसला छाया रहा। आम लोगों के साथ ही विपक्षी नेताओं ने भी सरकार पर निशाना साधा। विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धरामय्या ने कहा कि शुरुआत में दही, छाछ, लस्सी और पनीर पर कोई कर नहीं था। लेकिन अब उन्होंने इसे बढ़ाकर 5 फीसदी कर दिया है। अन्य खाद्य उत्पादों और किसानों की उपज पर भी कर लगाया है।
केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों पर निशाना साधते हुए सिद्धू ने कहा कि क्या यह अच्छे दिन का हिस्सा है जिसका भाजपा ने वादा किया था? मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई जीएसटी परिषद का हिस्सा हैं और उन्हें केंद्र को जनता की भावनाओं से अवगत कराना चाहिए था।