
परमात्मा की शरण में रहने वाले को भय नहीं
बेंगलूरु. आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जयनगर में आचार्य कुमुद नंदी ने धर्म सभा में कहा कि परमात्मा की शरण में जो भी जाता है, वह जगत में कहीं भी विचरण करे उसे जरा भी भय नहीं लगता। उन्होंने कहा कि एक डाल पर अनेक फल लगते हैं। फल पकते हैं। सरसता आती है। वृक्ष पर फूल पत्र लगते हैं। माली खुश होता है। सुगंध चारों ओर फैलती है। परमात्मा का भक्त भी सुगंध के समान है। साधु भी परमात्मा की सुगंध के समान है। सब जगह विचरण करते हैं। परमात्मा की प्यास जगाते हैं।
परमात्मा की शरण में अशरण और झुकने में उठना है। भक्ति में शक्ति है। अंधकार में सुरक्षा है, लेकिन प्राण लेवा सुरक्षा है। परमात्मा की शरण में रहने वाले का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। सभा में मुनि अर्पण सागर ने भी विचार व्यक्त किए।
चंचलता व अस्थिरता से रहें दूर
मैसूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सिद्धार्थनगर सीआईटीबी परिसर में श्रुत मुनि ने कहा कि जैन आगम में नरक गति, तिर्यन्च गति, मनुष्य गति, देव गति है। जिस गति के लिए देवलोक के देवता एवं नरक लोक के जीव तरसते हैं वह दुर्लभ मनुष्य गति हमें प्राप्त हुई है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य गति द्वारा हमें सही दिशा का चुनाव करने का बोध देता है।
मानव गति को वृक्ष की उपमा दी है। वृक्ष एक, गुण अनेक। वृक्ष छाया, हवा, पत्ते, दवा, फल, फूल आदि गुणों से परिपूर्ण है। मुनि ने कहा कि मनुष्य की चार प्रकार की गति मृग गति, माकड़ गति, अस्थिर गति, कड़वापन गति बताई गई है। अर्थात हमें अपने जीवन में भयभीत नहीं होना है। चंचलता एवं अस्थिरता से दूर रहना है। जीवन में कर्कषता, कठोरता एवं व्यसन से दूर रहकर कोयल के समान मधुरता, प्रेम एवं आनंद का समावेश करना चाहिए। मनुष्य गति को सही दिशा का चुनाव कर जीवन में सफल बनाने का संकल्प लेना चाहिए। इस अवसर पर बेंगलूरु हनुमंतनगर संघ के अध्यक्ष हुक्मीचंद कांकरिया ने 15 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। शनिवार को सामूहिक रूप से पंचरंगी सामायिक दिवस मनाया जाएगा।

Published on:
11 Aug 2018 05:45 pm
बड़ी खबरें
View Allबैंगलोर
कर्नाटक
ट्रेंडिंग
