
लज्जा मानव जीवन का महत्वपूर्ण गुण
बेंगलूरु. चामराजपेट में साध्वी वीना ने कहा कि लज्जा मानव जीवन का महत्वपूर्ण गुण है। इस गुण के कारण मानव बुराइयों से बचा रहता है। उन्होंने कहा कि जिसके जीवन में लज्जा होती है वह कभी भी अपनी कुल परम्परा और अपने पूर्वजों की मर्यादा के विरुद्ध कोई कार्य नहीं करता। लज्जा को सभी गुणों का भूषण कहा गया है। हर मानव के जीवन में लज्जा का गुण होना चाहिए। साध्वी वीरकांता ने मंगलपाठ सुनाया। शनिवार को मरुधर केसरी मिश्रीमल की जयंती मनाई जाएगी।
सत्य पुस्तकों में नहीं, आत्मा में
बेंगलूरु. जयनगर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य कुमुदनंदी ने धर्मसभा में कहा कि आखिर कब तक भटकोगे और कब तक भ्रमित होंगे। सत्य पुस्तकों में नहीं, आत्मा में है। उन्होंने कहा कि ज्ञान को नहीं ज्ञाता को पाओ। यदि शास्त्र पढ़ा और आचरण में नहीं उतारा तो तुमने भगवान महावीर को पूरा नहीं आधा माना है। अंधेरा दिख रहा हो तो प्रकाश करो। दुख है, इसलिए सुख की तलाश करो।
सुख-दुख पुण्य कर्म का फल
मैसूरु. सुमतिनाथ जैन संघ के महावीर भवन में जैनाचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि संसारी जीवों को संसार में जो कुछ भी सुख और अनुकूलता प्राप्त होती है, जो कुछ भी इन्द्रियों के अनुकूल सामग्री मिलती है, लोक में मान सम्मान, इज्जत प्रतिष्ठा आदि प्राप्त होती है, वह सब पुण्य कर्म का ही फल है। उन्होंने कहा कि मोक्ष मार्ग के अनुकूल सामग्री रूप मनुष्य जन्म, पांच इन्द्रिय की परिपूर्णता, देव, गुरु और धर्म के संयोग आदि सब कुछ भी पुण्य कर्म का ही फल है। इसलिए इस लोक और परलोक में सुखी होने एवं परमलोक रूप मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी पुण्य कर्म का उपार्जन करना चाहिए।
सफलता पुण्य के अधीन
बेंगलूरु. नाकोड़ा पाŸवनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर में संत अभिनंदन सागर ने कहा कि धर्म श्रेष्ठ मंगल है। संसार में सफलता पुण्य के अधीन है। पुण्य धर्म के अधीन है। धन सत्ता या राजसत्ता भी वह काम नहीं कर सकती जैसा धर्मसत्ता से हो जाता है।

Published on:
25 Aug 2018 07:46 pm
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