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मौत के 20 दिन बाद फिर मौत का खेल, एफआईआर और पोस्टमार्टम भी!

जिले में फर्जी तरीके से बीमा क्लेम हासिल करने के एक और कारनामे का खुलासा हुआ है। नए केस में 82 वर्ष की उम्र में जिस शख्स की मौत बीमारी के चलते होने की पुष्टि हुई है, मृत्यु के दिन से ठीक 20 दिन बाद दुर्घटना में उसकी मृत्यु का केस दर्ज हुआ।

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दीनदयाल शर्मा/बांसवाड़ा। जिले में फर्जी तरीके से बीमा क्लेम हासिल करने के एक और कारनामे का खुलासा हुआ है। नए केस में 82 वर्ष की उम्र में जिस शख्स की मौत बीमारी के चलते होने की पुष्टि हुई है, मृत्यु के दिन से ठीक 20 दिन बाद दुर्घटना में उसकी मृत्यु का केस दर्ज हुआ। फिर बाकायदा एफआईआर दर्ज कर पोस्टमार्टम कराया जाना बताया गया। इस खेल में मृतक के बेटे और पुलिस- डॉक्टर की मिलीभगत के संकेतों को बांसवाड़ा पुलिस प्रशासन ने गम्भीरता से लेते हुए अब हर पहलू पर जांच शुरू कराई है। गौरतलब है कि इससे पहले भी इस तरह के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था।

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फिर अफसरों के लिए चुनौती
वेलजी की मौत हादसे में बताने से अब पुलिस के सामने सवाल यह है कि शव एमजी अस्पताल लाया भी गया या नहीं। अगर लाया गया और डॉक्टर ने पोस्टमार्टम किया, तो वह शव किसका था।

वही थाना, वही डॉक्टर
नए केस में इत्तेफाक यह भी है कि यह भी सदर थाने का है और पोस्टमार्टम करने वाले मेडिकल ज्यूरिस्ट पूर्व पीएमओ रवि उपाध्याय ही हैं। आंगनबाड़ी केंद्र की मृत्यु पंजिका के अनुसार 20 सितंबर, 2018 वेलजी की बीमारी से मृत्यु हुई। इसमें कार्यकर्ता के सर्वे उपरांत रजिस्टर नम्बर 97 में दर्ज मृत्यु की पुष्टि का भी 12 नम्बर को उल्लेख है।

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पेंशन योजना का रेकॉर्ड भी चौंका रहा
वेलजी के केस की जांच के दौरान जब सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का रेकॉर्ड देखा गया तो उससे भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पेन कार्ड और आधार कार्ड में वेलजी की जन्म तिथि 1 जनवरी, 1956 की मिली, तो पेंशन के रेकॉर्ड में उसकी जन्म तिथि 10 जनवरी, 1925 है।

इन मामलों में हुई किरकिरी
केस-1
7 मार्च, 22 को थाने में दर्ज मर्ग में बाइक बेकाबू होने से गिरने से रणछोड़ पटेल की मौत होना बताया गया। पुलिस जांच के बाद मृतक के बेटे पवन, हेड कांस्टेबल भानुदत्त, तत्कालीन पीएमओ डॉ. रवि उपाध्याय व अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी करने के आरोप में केस दर्ज हुआ।

केस-2
मोटागांव क्षेत्र में 24 अप्रेल की शाम बाइक सवार जीतमल उर्फ जीतू को झुंझुनूं पासिंग रोडवेज बस से दुर्घटनाग्रस्त बताते हुए दर्ज एफआईआर पर कार्रवाई के बाद रोडवेज प्रबंधन पर 70 लाख का क्लेम किया गया। कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर बताई कहानी सही नहीं मानी।


क्लेम पर सदर थाने से जुड़े मामले में बीमा कम्पनी के प्राइवेट इंवेस्टिगेटर ने अपनी पड़ताल कर तथ्य पेश किए हैं। इन पर गहनता से अनुसंधान कराया जा रहा है। जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
अभिजीत सिंह, पुलिस अधीक्षक बांसवाड़ा


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