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बांसवाड़ा : वागड़ में मक्का की बपंर पैदावार, लेकिन किसानों को सरकारी खरीद का इंतजार

जलवायु की अनुकूलता के बावजूद यहां नहीं सरकार का ध्यान, किसानों में असंतोष

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बांसवाड़ा. रबी हो या खरीफ अथवा अन्य सीजन पूरे साल मक् का का उत्पादन। यह खासियत कहीं और नहीं बांसवाड़ा की आबोहवा में हैं, लेकिन उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों को मेहनत का पूरा फल दिलाने की दिशा में अब तक कोई प्रयास नहीं हो पाया है। किसानों की मांग है कि गेहूं की तरह मक् का की भी समर्थन मूल्य पर खरीद हो ताकि उन्हें उपज का वाजिब दाम मिल सके। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार बांसवाड़ा में रबी सीजन में करीब 20 हजार हैक्टेयर में मक्का की बुवाई होती है और इस फसल से किसान प्रति हैक्टेयर में औसत 65 से 70 क्विंटल मक्का की पैदावार प्राप्त करता है, जो यहां की किसी भी सीजन की फसल से सर्वाधिक उत्पादन है। खरीफ सीजन की मक्का की पैदावार के बारे में बात की जाए तो 80-85 हजार हैक्टेयर में मक्का की बुवाई होती है और मक्का उत्पादन औसत 18 से 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर आता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रबी सीजन मक्का उत्पादन के लिए किस तरह वरदान है।

लंबे समय से उठा रहे हैं मांग
भारतीय किसान संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष रणछोड़ पाटीदार ने बताया कि मक्का की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए लंबे समय से किसान वर्ग मांग उठा रहा है। मक्का की यहां बंपर पैदावार होती है। अगर समर्थन मूल्य पर मक्का की खरीद होती है किसान की आय में वृद्धि होगी।

दो से तीन बार उठा लेते हैं मक्का की फसल
वागड़ की आबोहवा मक्का की फसल के लिए इतनी अनुकूल है कि यहां के किसान साल में करीब 2 से 3 बार मक्का की फसल तैयार कर काट लेते है। जिसकी वजह से यहां मक्का की बंपर पैदावार होती है। यहां पर मक्का की विभिन्न किस्मों की फसलें होती है। वागड़ में होने वाले मक्का की मांग प्रदेश ही नहीं वरन देश के दूर दराज क्षेत्रों में भी काफी है। यहां के किसान पारम्पारिक और आधुनिक रूप से मक्का की खेती करते है।


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