
Gold mining will continue for 50 years at Imalia Gold Mines in MP (फोटो-एआई)
बांसवाड़ा। जिले की भूकिया-जगपुरा स्थित राजस्थान की पहली सोने की खदान की नीलामी पर अचानक ब्रेक लग गया है। खान विभाग ने विजेता कंपनी के दस्तावेजों में गड़बड़ी सामने आने के बाद यह नीलामी रद्द कर दी है। मई 2024 में हुई इस नीलामी का खुलासा अब जाकर हुआ है।
राजस्थान जून 2024 में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और झारखंड के बाद चौथा राज्य बना था जिसे सोने की खदान का लाइसेंस मिला। इस नीलामी में चार कंपनियों ने बोली लगाई थी, जिसमें हिराकुंड नैचुरल रिसोर्सेज, हिंदुस्तान जिंक, रामगढ़ मिनरल्स एंड माइनिंग और रतलाम की ओवैस मेटल एंड मिनरल प्रोसेसिंग लिमिटेड शामिल हैं।
विजेता घोषित हुई ओवैस मेटल एंड मिनरल प्रोसेसिंग लिमिटेड के दस्तावेजों की जांच में गड़बड़ियां सामने आईं। कंपनी की नेटवर्थ और आयकर रिटर्न में अंतर पाया गया, वहीं 200 करोड़ रुपये की अनिवार्य शर्त भी पूरी नहीं की गई थी। साथ ही शेयरहोल्डिंग से जुड़े आंकड़े भी गड़बड़ निकले। इसके आधार पर विभाग ने बोली रद्द करने का आदेश जारी किया।
संयुक्त सचिव आशु चौधरी ने आदेश जारी कर बताया कि नई बोली प्रक्रिया की तैयारी शुरू हो गई है। विभाग का लक्ष्य है कि नवंबर-दिसंबर तक फिर से नीलामी पूरी कर ली जाए।
जानकारी के अनुसार, कंपनी पहले ही पर्यावरणीय मंजूरी और खदान स्थल पर मशीनरी लगाने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी थी। अनुमान था कि यहां उत्पादन 2026-27 तक शुरू हो जाएगा, लेकिन अब यह समयसीमा और पीछे खिसक सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस खदान से करीब 113.52 मिलियन टन स्वर्ण अयस्क निकाला जा सकता है, जिससे अगले 50 वर्षों में करीब 1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित होने की संभावना है। साथ ही, यहां से निकलने वाले तांबा, निकल और कोबाल्ट जैसे धातु राज्य की अर्थव्यवस्था को नई गति देंगे।
इस प्रोजेक्ट से सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 50 हजार लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है। साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक्स, ज्वेलरी और एयरोस्पेस जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश और नए अवसर पैदा होंगे।
Published on:
04 Sept 2025 02:36 pm
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