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Rajasthan News : पर्यावरण क्लीयरेंस को लेकर ‘SEIAA’ का बड़ा फरमान, खदानों पर संकट के बादल, तीन बंद, पट्टाधारियों में बेचैनी

Rajasthan News : पर्यावरण क्लीयरेंस को लेकर ‘SEIAA’ के फरमान। खदानों पर संकट के बादल छाए। बांसवाड़ा जिले में तीन खदानें बंद हो गईं हैं। वहीं 24 और खदान पट्टाधारियों में बेचैनी छाई हुई है। आगे क्या होगा, भगवान जानें।

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Rajasthan environmental clearance SEIAA order clouds of crisis Banswara mines three mines closed 24 more lease holders are upset

फोटो पत्रिका

Rajasthan News : राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (सिया) के निर्देश पर बांसवाड़ा जिले में बी श्रेणी की स्टोन-क्रेशर मटेरियल की खदानों पर संकट के बादल छा गए हैं। पर्यावरण क्लीयरेंस को लेकर तीन ऐसी खदानें बंद करा दी गई हैं, जबकि 24 अन्य राडार पर होने से दूसरे पट्टाधारियों में बेचैनी बढ़ गई हैं। एनजीटी ने तय समय सीमा में सिया की ओर से पुनर्मूल्यांकन कार्रवाई नहीं होने पर प्रदेशभर की बी श्रेणी की खदानों को चिह्नित किया। इनमें बांसवाड़ा की कुल 30 खदानें हैं।

सैकड़ों श्रमिकों के रोजगार और सरकार की आय पर पड़ेगा असर

हालांकि खान एवं भू विज्ञान विभाग दस्तावेजी औपचारिकता पूरी होने पर खनन संचालन होने का दावा कर रहा है, लेकिन वन क्षेत्रों से पूर्व निर्धारित 25 मीटर की दूरी को बदलकर 50 मीटर करने से ईसी आसानी से मिलना मुश्किल है। इस साल के अंत तक ऐसी सूचीबद्ध तकरीबन सभी खदानें बंद होने की आशंका है। ऐसे में प्रति इकाई दस श्रमिक भी मानें तो खनन बंद होने पर हजारों की संख्या में श्रमिकों का रोजगार जाने के साथ जीएसटी और रॉयल्टी के रूप में सरकार को करोड़ों का राजस्व नुकसान भी होगा।

पहले 25 मीटर हुआ करती थी वनक्षेत्र से माइंस की दूरी

वनक्षेत्र से माइंस की दूरी पहले 25 मीटर की हुआ करती है, बांसवाड़ा में तब के डायवर्जन हैं। अब 50 मीटर करने और सिया की ओर से ही ईसी देय है। सिया के आदेश पर खदानें बंद करवाई हैं। दस्तावेजी औपचारिकताएं पूरी होने ही खनन हो सकेगा। ऐसी 24 अन्य खदानों के मामले विचाराधीन हैं।
गौरव मीणा, खनि अभियंता, खान एवं भू विज्ञान विभाग, बांसवाड़ा

मामले में सोमवार को कर सकते हैं स्थिति स्पष्ट

खदानें बंद कराने का आदेश खान विभाग से है। ईसी को लेकर पूरा मामला संज्ञान में नहीं है। मामले में सोमवार को स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं।
अभिषेक शर्मा, उप वन संरक्षक बांसवाड़ा

खान विभाग के इस आदेश से खलबली

माइनिंग इंजीनियर गौरव मीणा ने गत 1 मई को मैसर्स मां त्रिपुरा माइनिंग, मैसर्स सैनिक इंडस्ट्रीज पाड़ला और जमना देवी खनिज मेसनरी स्टोन सिंगपुरा में खनन बंद करने का आदेश दिया। पुनर्मूल्यांकन कार्रवाई संभव नहीं होने पर विभाग ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिस पर जारी आदेशों के तहत रिअप्रेजल अवधि 31 मई तक बढ़ा दी गई, लेकिन ईसी का पुनर्मूल्यांकन कर रही ‘सिया’ ने बंद और डिलिस्ट खदानों की सूची जारी की। इसमें उक्त तीनों माइंसें शामिल हैं। यह भी बताया कि सिया की ओर से रिअप्रेसल पर आगे खनन पट्टों में खनन कार्य नियमित रूप से किया जा सकता है या पट्टाधारी इसे लेकर उच्चतम न्यायालय के 27 मार्च, 2025 के निर्देश पर सिया से पारित आदेश को चुनौती दे सकते हैं।

यहां फंसा हैं पेंच

वर्षों से संचालित बी श्रेणी की खदानों की ईसी पहले जिला पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण यानी ‘दिया’ वनक्षेत्र से 25 मीटर की दूरी के कायदे के अनुसार जारी करती रही है। यह अधिकार सिया को देने और दूरी बढ़ाकर 50 मीटर करने के आदेश की पालना से उन्हीं पूर्व स्वीकृत खदानों पर तलवार लटक गई है।

फुटबॉल बना रहे विभाग

जमना देवी खनिज मेसनरी स्टोन, सिंगपुरा के संचालक परमेश्वर पुत्र हीरालाल निनामा का कहना है कि विभागीय नोटिस के पहले ही 15 अप्रेल को आवेदन कर दिया था। बावजूद इसके खदान बंद करवा दी। खान विभाग एनओसी लाने को कह रहा है, तो वन विभाग टाल रहा है। पट्टाधारी फुटबॉल बन गए हैं।