scriptसमय से पहले हुई बारिश ने मेंथा किसानों को कर दिया बर्बाद, जानें कितना बढ़ा रेट और कितना हुआ नुकसान | Mentha crop destroyed due to heavy Rain in UP | Patrika News
बाराबंकी

समय से पहले हुई बारिश ने मेंथा किसानों को कर दिया बर्बाद, जानें कितना बढ़ा रेट और कितना हुआ नुकसान

– एक बीघे में अब दस किलो जापानी पुदीना तेल निकलना भी मुश्किल- देश के कुल 90 फीसद मेंथा आयल का निर्यात करता है यूपी, बढ़ गए दाम

बाराबंकीJul 30, 2021 / 04:10 pm

नितिन श्रीवास्तव

समय से पहले हुई बारिश ने मेंथा किसानों को कर दिया बर्बाद, जानें कितना हुआ नुकसान

समय से पहले हुई बारिश ने मेंथा किसानों को कर दिया बर्बाद, जानें कितना हुआ नुकसान

बाराबंकी. मई और जून महीने में मूसलाधार बारिश ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसी बारिश के चलते उत्तर प्रदेश में मेंथा (पिपरमिंट) की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ। बाराबंकी समेत कई जिलों में जलभराव के चलते किसानों की मेंथा की फसलें खेत में ही बर्बाद हो गईं। 90 से 100 दिन की मेंथा की फसल को किसानों के लिए नकदी फसल कहा जाता है। प्रदेश के दर्जनभर से ज्यादा जिलों में किसान इसे दो फसलों के बीच लगातार कई वर्षों से मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन इस साल पहले मई में चक्रवाती तूफान तौकते और यास के चलते बारिश हुई फिर फसल कटाई के दौरान एक जून से लगातार कई दिनों तक हुई बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। जिसके चलते एक बीघे में दस किलो जापानी पुदीना तेल निकालना भी मुश्किल हो गया।
70 फीसदी मेंथा की फसल बर्बाद

एक आंकड़े के मुताबिक लगभग 70 फीसदी मेंथा की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई। पहले 20 जून के बाद बारिश होती थी, लेकिन इस बार पहले ही जोरदार बारिश होने से काफी नुकसान हुआ। एक एकड़ मेंथा की खेती में औसतन 18000-25000 रुपए तक की लागत आती है। जिसमें औसतन 50 किलो तक मेंथा ऑयल निकलता है। फसल अच्छी होने और मौसम के साथ देने पर प्रति एकड़ तेल 60 किलो से ज्यादा भी तेल निकल आता है। लेकिन जिन किसानों की मेंथा इस साल बारिश में डूब गई, वह बर्बाद हो गई। ऐसे किसानों का प्रति एकड़ मुश्किल से 10 से 15 किलो तेल ही निकला। इस वक्त मेंथा का औसत रेट 900-950 रुपए किलो के आसपास है। कुछ साल पहले ये रेट 2000 रुपए किलो तक पहुंच गया था।
बाराबंकी मेंथा का गढ़

मेंथा के उत्पादन की अगर बात करें तो देश की 90 फीसदी फसल उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है। उसमें भी बाराबंकी जिले में सबसे ज्यादा मेंथा की खेती होती है। बाराबंकी को मेंथा का गढ़ कहा जाता है। यहां बागवानी विभाग के मुताबिक करीब 88000 हेक्टेयर में मेंथा की फसल लगाई जाती है। बाराबंकी अकेले प्रदेश में कुल तेल उत्पादन में 25 से 33 फीसदी तक योगदान करता है। लखनऊ स्थित केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के प्रधान वैज्ञानिक संजय कुमार के मुताबिक इस साल मेंथा के कुल उत्पादन में 70 फीसदी की कमी आई है। जिसके पीछे की मुख्य वजह बेमौसम बारिश रही।

Home / Barabanki / समय से पहले हुई बारिश ने मेंथा किसानों को कर दिया बर्बाद, जानें कितना बढ़ा रेट और कितना हुआ नुकसान

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो