
पत्रिका न्यूज नेटवर्क/बारां/बामला. जिस किसी ने भी बेटी को पिता की चिता पर मुखाग्नि देते देखा और परिवार की व्यथा सुनी तो उसकी आंखें नम हो गई। भविष्य की चिंता में कांपते हाथों से पिता को अन्तिम विदाई देने वाली पुत्री बदहाल अवस्था में मानो जीवन के शून्यट्ठको ताक रही थी।
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पिता की मौत से अपनी सुधबुध खो बैठी
गांव निवासी कौशल सेन (45) पुत्र मांगीलाल सेन की ब्रेन हेमरेज के कारण कोटा के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। जैसे ही उसका शव घर पहुंचा तो उसकी तीन छोटी-छोटी बेटियां पिता की मौत से अपनी सुधबुध खो बैठी। मुश्किल से परिवार वालों और ग्रामीणों ने उनको संभाला। बड़ी बेटी को शमशान ले जाकर पिता को मुखाग्नि दिलाई। मृतक कौशल सेन के कोई बेटा नहीं है।
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पहले दादा, फिर माता, अब पिता चल बसे
मृतक कौशल सेन के पिता मांगीलाल की पहले ही मौत हो चुकी है। मृतक कौशल सेन की पत्नी की मौत भी पिछले साल कोरोना महामारी में हो गई। इस तरह अब इन तीनों बेटियों को संभालने वाला कोई नहीं है। परिवार में इन तीनों बेटियों की एक मात्र अभिभावक वृद्धा दादी है। वह भी बहुत बीमार रहती है। गांव के लोगों ने जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से इन बच्चियों की मदद की गुहार लगाई है।
Published on:
02 Nov 2022 12:30 pm
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