
बरेली। पति-पत्नी के बीच आठ साल पुराने गुजारा भत्ता वसूली प्रकरण में पुलिस की ढिलाई और संदिग्ध भूमिका अदालत के निशाने पर आ गई है। अदालत ने थाना कैंट के इंस्पेक्टर से सीधे जवाब-तलब किया है। साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर कैंट पुलिस के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
थाना कैंट क्षेत्र निवासी आशिक के खिलाफ फैमिली कोर्ट ने गुजारा भत्ता वसूली के लिए वारंट जारी कर रखा है। बावजूद इसके, पुलिस अब तक उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी। हर बार पुलिस कोर्ट में यही रिपोर्ट दाखिल करती रही कि आरोपी को उसके परिवार ने बेदखल कर दिया है और उसका कोई ठिकाना नहीं है।
मामले की सुनवाई के दौरान फैमिली कोर्ट के संज्ञान में आया कि आरोपी आशिक के खिलाफ प्रेमनगर थाने में धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का केस लंबित है। इस मुकदमे में वह बाकायदा हाजिर होकर अपना बयान दर्ज करा चुका है। इसके अलावा, आरोपी की ओर से कभी बीमारी तो कभी मजदूरी का हवाला देकर अन्य अदालतों में अर्जी भी दी गई।
इसके उलट, कैंट पुलिस अदालत को गुमराह करती रही। इतना ही नहीं, पुलिस ने सबूत के तौर पर आरोपी के घर जाकर उसके बड़े भाई के साथ फोटो खिंचवाकर दाखिल कर दिया, मानो आरोपी फरार है। जबकि उसी भाई ने फौजदारी अदालत में आरोपी की ओर से हस्ताक्षरयुक्त हाजरी माफी पेश की है।
फैमिली कोर्ट के अपर प्रधान न्यायाधीश संजय कुमार सिंह ने आदेश दिया कि जैसे ही आरोपी फौजदारी अदालत में हाजिर हो, उसे तत्काल गिरफ्तार कर फैमिली कोर्ट में पेश किया जाए। साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वसूली वारंट पर हर हाल में कार्रवाई होनी चाहिए, इसमें किसी भी स्तर पर चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को निर्धारित है।
Published on:
21 Sept 2025 10:36 am
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