
रामपुर/बरेली। समाजवादी पार्टी के भीतर एक बार फिर सियासी भूचाल के संकेत दिखने लगे हैं। करीब 23 महीने की दूरी के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान से मुलाकात की, मगर इस मुलाकात से पहले ही सियासी तूफ़ान उठ खड़ा हुआ। सपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रामपुर सांसद मोहिबुल्ला नदवी को बरेली एयरपोर्ट पर ही उतार दिया, क्योंकि आजम खान ने साफ लहजे में कहा था कि अखिलेश अकेले आएं, तभी बात होगी।
बरेली एयरपोर्ट बुधवार सुबह किसी हाई-प्रोफाइल राजनीतिक अखाड़े में तब्दील हो गया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव चार्टर फ्लाइट से लखनऊ से बरेली पहुंचे, जहां सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम थे। एयरपोर्ट से करीब चार किलोमीटर पहले तक बैरिकेडिंग लगाई गई थी। आम लोगों को क्या, पार्टी कार्यकर्ताओं तक को प्रवेश की इजाजत नहीं थी। अखिलेश के साथ सांसद नदवी भी हेलीकॉप्टर में बैठने पहुंचे थे, लेकिन अंतिम क्षणों में अखिलेश ने उन्हें उतर जाने का निर्देश दे दिया।
सूत्रों के अनुसार, आजम खान ने साफ चेतावनी दी थी कि यह मुलाकात न पूरी पार्टी से है, न परिवार से, बल्कि “सिर्फ अखिलेश यादव से व्यक्तिगत बातचीत” होगी। उन्होंने यह भी कहा कि न पत्नी तज़ीन फातिमा आएंगी, न बेटा अब्दुल्ला आज़म। राजनीतिक बहस नहीं, निजी बात होगी।
अखिलेश यादव का पहले से तय कार्यक्रम सड़क मार्ग से जाने का था — लखनऊ → मुरादाबाद → बरेली → रामपुर। लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से सड़क मार्ग की अनुमति नहीं दी। अखिलेश की जिद पर आख़िरी समय में हेलीकॉप्टर से जाने की मंज़ूरी दी गई। चार्टर विमान से वे बरेली एयरपोर्ट पहुंचे, वहां कुछ ही मिनट ठहरकर हेलीकॉप्टर से रामपुर रवाना हो गए।
रामपुर सीट 2024 लोकसभा चुनाव में सपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई रही। आजम खान चाहते थे कि टिकट उनका परिवार या उनके करीबी कार्यकर्ता पाए, लेकिन अखिलेश ने मोहिबुल्ला नदवी पर दांव खेला। तभी से आजम खान पार्टी नेतृत्व से नाराज़ चल रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बरेली एयरपोर्ट पर नदवी को उतारने का फैसला साफ संकेत है कि अखिलेश अब आजम को मनाने की कोशिश में हैं।
रामपुर में 9 अक्टूबर को बसपा सुप्रीमो मायावती की विशाल रैली प्रस्तावित है। ऐसे में अखिलेश-आजम मुलाकात का समय बेहद रणनीतिक माना जा रहा है। मायावती जहां पश्चिमी यूपी में मुसलमानों और दलितों के समीकरण को साधने में जुटी हैं, वहीं अखिलेश इस मुलाकात के ज़रिए यह दिखाना चाहते हैं कि रामपुर में सपा का किला अभी भी मज़बूत है।
बीते हफ्तों में ऐसी चर्चा तेज थी कि आजम खान सपा से किनारा कर सकते हैं या किसी नई राजनीतिक दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। अब अखिलेश की यह ‘अकेले में मुलाकात’ उन अफवाहों पर विराम लगाने की कोशिश मानी जा रही है। हालांकि राजनीतिक जानकार यह भी कह रहे हैं कि अगर बातचीत ठंडी रही, तो सपा को पश्चिमी यूपी में बड़ा झटका लग सकता है।
यह मुलाकात सिर्फ दो नेताओं की नहीं, बल्कि सपा के अंदर नेतृत्व और निष्ठा की परीक्षा है। अगर रिश्तों की बर्फ पिघलती है, तो रामपुर में सपा की वापसी तय मानी जाएगी। वरना यह दरार 2027 तक का सबसे बड़ा राजनीतिक संकट साबित हो सकती है।
एयरपोर्ट से पहले ही सपा कार्यकर्ताओं को रोक दिया गया। हालांकि बाद में पांच लोगों को अखिलेश यादव से मिलने के लिए भेजा गया। जिसमें सपा सांसद नीरज मौर्य, विधायक शहजिल इस्लाम, विधायक अताउर रहमान, जिलाध्यक्ष शिवरण कश्यप, महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी शामिल रहे।
संबंधित विषय:
Published on:
08 Oct 2025 04:10 pm
बड़ी खबरें
View Allबरेली
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
