
अनार की खेती (फोटो- पत्रिका)
बालोतरा: करीब डेढ़ दशक पहले बालोतरा क्षेत्र के किसानों ने नवाचार करते हुए अनार की बागवानी शुरू की थी। उनकी मेहनत रंग लाई और आज अनार उत्पादन में बालोतरा जिला प्रदेश में अव्वल है। लेकिन अफसोस कि किसानों को उचित आमदनी दिलाने के लिए स्वीकृत फल-सब्जी मंडी का निर्माण आज भी अधूरा पड़ा है।
बता दें कि कई वर्ष पहले बनी चारदीवारी और चेक पोस्ट ही अब किसानों का मजाक उड़ाती नजर आ रही हैं। जबकि एक महीने बाद नई अनार फसल बाजार में आएगी।
पिछड़े जिले बालोतरा के किसानों ने साल 2010 में जोखिम उठाते हुए अनार के बगीचे लगाए। शुरू में कुछ दर्जन किसानों ने इसे अपनाया, लेकिन बेहतर फसल और अच्छी आमदनी देखकर सैकड़ों किसान इस ओर आकर्षित हो गए। आज जिले के सैकड़ों गांवों में अनार की बागवानी हो रही है और किसान अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं।
अनार उत्पादन में प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल होने के बाद राज्य सरकार ने बजट घोषणा 2021-22 में पादरू में फल-सब्जी मंडी स्वीकृत की थी। सिवाना मार्ग पर 40 बीघा भूमि आवंटित कर चारदीवारी और दो चेक पोस्ट का निर्माण भी किया गया, लेकिन उसके बाद कार्य ठप हो गया। मंडी परिसर में बूबुल की कंटीली झाड़ियां, कचरा और गंदगी फैली है। आधी-अधूरी मंडी किसानों के साथ मजाक जैसा प्रतीत हो रही है।
नवंबर का पहला पखवाड़ा बीत चुका है और दिसंबर के अंत तक अनार की नई फसल आ जाएगी। ऐसे में मंडी निर्माण अधूरा होने के कारण किसानों को एक बार फिर निजी अस्थायी मंडियों में ही फसल बेचनी पड़ेगी। इससे उन्हें अनार का वास्तविक मूल्य नहीं मिल पाएगा, जिसे लेकर किसानों में नाराजगी है।
“बालोतरा के किसानों ने अनार की फसल में नवाचार कर प्रदेश में नाम कमाया। लेकिन डेढ़ वर्ष बाद भी मंडी अधूरी है, जिससे किसान वास्तविक लाभ से वंचित हैं।”
-अरविंद कुमार, सूरसिंह का ढाणा
“सरकार किसानों के कल्याण के कई दावे करती है, लेकिन जमीन पर स्थिति उलट है। कई साल पहले स्वीकृत मंडी आज तक पूरी नहीं हो सकी, इससे सब कुछ समझा जा सकता है।”
-देवाराम चौधरी, जागसा
“बालोतरा क्षेत्र में हर वर्ष करोड़ों रुपए की अनार की पैदावार होती है और सरकार को भी अच्छी आय मिलती है। लेकिन कछुआ गति से निर्माण कर किसान का ही मजाक उड़ाया जा रहा है।”
-ओम सिंह, मिठौड़ा
“योजनाएं दिखावा साबित हो रही हैं। पादरू में फल-सब्जी मंडी निर्माण पूरा करवाने की कई बार मांग उठाई, लेकिन जनप्रतिनिधि और अधिकारी रुचि नहीं ले रहे। इसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।”
-मुकन सिंह राजपुरोहित, प्रधान सिवाना
Published on:
15 Nov 2025 02:51 pm
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