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जसवंत सिंह को हराकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आए थे सोनाराम चौधरी, कांग्रेस-भाजपा दोनों में रहे, जानिए राजनीतिक सफर

Colonel Sonaram Chaudhary: कर्नल सोनाराम चार बार लोकसभा सांसद रहे और एक बार विधानसभा का चुनाव जीता। वे जसवंत सिंह को हराकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आए थे। जानिए उनका राजनीतिक सफर-

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Colonel Sonaram Chaudhary
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Photo- Social Media

Colonel Sonaram Chaudhary: कद्दावर जाट नेता व पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी का बुधवार देर रात दिल्ली में निधन हो गया। कर्नल सोनाराम चार बार लोकसभा सांसद रहे और एक बार विधानसभा का चुनाव जीता। वे जाट समुदाय के बीच मजबूत प्रभाव रखते थे और जाट आरक्षण आंदोलन में सक्रिय रहे। कर्नल की नौकरी छोड़ वे राजनीति में आए थे।

कर्नल सोनाराम चौधरी राजस्थान के बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र के प्रमुख जाट नेता और प्रभावशाली राजनेता रहे। उनका जन्म जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ गांव में हुआ था। उन्होंने भारतीय सेना में सेवा की और इसके बाद राजनीति में प्रवेश किया। उनका राजनीतिक सफर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों के साथ रहा, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण चुनाव लड़े और जीते।

कर्नल सोनाराम ने कांग्रेस के साथ शुरू किया था राजनीतिक करियर

कर्नल सोनाराम चौधरी ने अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस के साथ शुरू किया। 1996 में उन्होंने बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से पहली बार सांसद का चुनाव जीता। 1998 में उन्होंने दूसरी बार बाड़मेर-जैसलमेर से लोकसभा चुनाव जीता, जिसमें उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार लोकेन्द्र सिंह कालवी को हराया।

1999 में सोनाराम चौधरी ने मानवेंद्र सिंह को हराया

इसके बाद 1999 में उन्होंने लगातार तीसरी बार बाड़मेर-जैसलमेर से लोकसभा चुनाव जीता। इस बार भाजपा के मानवेंद्र सिंह (पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र) को हराया।

2004 में मानवेंद्र सिंह से चुनाव हार गए

2004 में वे फिर से बाड़मेर-जैसलमेर से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन इस बार भाजपा के मानवेंद्र सिंह से हार गए। 2008 में परिसीमन के बाद नवगठित बायतु विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और भाजपा के कैलाश चौधरी को हराकर विधायक बने।

2014 में भाजपा में शामिल हुए

2014 में कर्नल सोनाराम ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया। बताया जाता है कि यह निर्णय तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थन से लिया गया, जिन्होंने उन्हें जसवंत सिंह के खिलाफ टिकट दिलवाया।

2014 के लोकसभा चुनाव में बाड़मेर जैसलमेर से भाजपा के टिकट पर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार जसवंत सिंह को हराया और चौथी बार सांसद बने। यह चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहा।

2018 में भाजपा से बाड़मेर विधानसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस के मेवाराम जैन से हार गए। 2019 में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया, जिसके बाद वे पार्टी से नाराज हो गए।

2023 में कर्नल सोनाराम की कांग्रेस में वापसी

2023 में कर्नल सोनाराम ने फिर से कांग्रेस में वापसी की। उन्होंने 2023 के विधानसभा चुनाव में बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। यह उनका आखिरी चुनाव था। इस चुनाव में वे हार गए।

कर्नल सोनाराम: जन्म और पृष्ठभूमि

मोहनगढ़, जैसलमेर में एक हिंदू जाट परिवार में जन्म। पिता का नाम यूआर चौधरी और माता का नाम रतानी देवी था। उनकी पत्नी विमला चौधरी हैं, और उनके एक पुत्र और एक पुत्री है।

शिक्षा: जोधपुर के एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई की डिग्री प्राह्रश्वत की और इंजीनियर्स संस्थान (भारत) के फेलो (एफआईई) हैं।

कर्नल सोनाराम का सैन्य करियर

1966 में भारतीय सेना में शामिल हुए और 25 वर्षों तक सेवा की। उन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में पूर्वी मोर्चे पर योगदान दिया। 1994 में स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर सामाजिक सेवा और राजनीति में प्रवेश किया।


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