30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जसोल में सवा करोड़ की पेयजल योजना स्वीकृत, अब तक शुभारम्भ भी नहीं

पुरानी लाइनों से प्रभावित हो रही जलापूर्ति

2 min read
Google source verification
जसोल में सवा करोड़ की पेयजल योजना स्वीकृत, अब तक शुभारम्भ भी नहीं

जसोल में सवा करोड़ की पेयजल योजना स्वीकृत, अब तक शुभारम्भ भी नहीं

-
बालोतरा.

जसोल में दशकों पुरानी पेयजल लाइन के धंसने, चॉक होने व नई स्वीकृत पेयजल योजना स्वीकृति के बाद शुरू नहीं होने से पेयजल संकट की स्थिति है। सप्ताह अंतराल में कम दबाब से होती जलापूर्ति पर रहवासी मोल पानी खरीदकर प्यास बुझाने व जरूरतें पूरी करने को मजबूर है।

उपखंड बालोतरा के बड़े कस्बों में से जसोल एक है। 18 हजार से अधिक आबादी वाला यह कस्बा जिले का दूसरा बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। यहां 100 से अधिक वस्त्र कारखानें संचालित होने पर कामकाज को लेकर आसपास के गांवों से हर दिन हजारों जने यहां आते हैं। प्रसिद्ध माता राणी भटियाणी तीर्थ होने पर शुक्ल पक्ष में दर्शन करने के लिए प्रदेश, मारवाड़ से लाखों श्रद्धालु आते हैं। एेसे में सरकार ने जसोल में नई पेयजल लाइन बिछाने के लिए 1 करोड़ 19 लाख रुपए स्वीकृत किए थे। गौरतलब है कि एक माह पहले टेंडर कर कार्यादेश की स्वीकृति दे दी गई, लेकिन अभी तक कार्य आरम्भ नहीं हुआ है।

इस पर दशकों पुराने पाइप जगह-जगह से धंसने, चॉक होने से जलापूर्ति पर ग्रामीणों को पूरा पानी नहीं मिलता है। पेयजल लाइन के अंतिम छोर पर बसे परिवारों को थोड़ा पानी भी नहीं मिल पाता है। ग्रामीणों के अनुसार जलदाय विभाग सप्ताह अंतराल में डेढ़-दो घंटे जलापूर्ति करता है। पुरानी पेयजल लाइन पर कम दबाब में होने वाली जलापूर्ति पर उन्हें एक-दो दिन जरूरत जितना ही पानी उपलब्ध हो पाता है। ऐसे में इन्हें मोल पानी खरीदकर जरूरतें पूरी करनी पड़ती है।
हर दिन पानी को लेकर परेशानी- कस्बे में नई पेयजल लाइन स्वीकृत होने पर पानी की समस्या से शीघ्र निजात मिलने की उम्मीद संजोई थी, लेकिन कार्य तक शुरू नहीं हुआ। इस पर हर दिन पानी के लिए तरसना पड़ता है। - अनिल सैन

मोल पानी खरीदना मजबूरी- कस्बे की दशकों पुरानी पेयजल लाइनें चॉक व धंसी हुई हैं। पेयजल आपूर्ति के दिन भी एक दिन जितना पानी नहीं आता। स्वीकृत कार्य के बावजूद विभाग इसे प्रारंभ नहीं करवा रहा है। मोल पानी खरीद जरूरतें पूरी करनी पड़ रही है। - ओमप्रकाश पालीवाल