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मौत का मातम, पोस्टमार्टम की चिंता के बीच उलझे परिजन

एक तरफ जहां करतार की मर्जी के चलते असामयिक मौत का गम सहने को परिजन मजबूर है तो दूसरी ओर धरती के भगवान (चिकित्सक) हड़ताल पर होने के कारण समय पर पोस्टमा

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 जवान मौत पर पिता खून के आसूं रो रहा था, वहीं परिजन पोस्टमार्टम करवाना चाहते थे,

जवान मौत पर पिता खून के आसूं रो रहा था, वहीं परिजन पोस्टमार्टम करवाना चाहते थे,

केस संख्या-1- रामदेवपुरा निवासी रामाराम सब्जी की पिकअप गाड़ी भर कर जोधपुर जा रहा था। कल्याणपुर से निकलते ही पिकअप टै्रक्टर से टकरा गई। इससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद जब बात पोस्टमार्टम की आई तो चिकित्सक हड़ताल आड़े आ गई। घंटों तक परिजन पोस्टमार्टम का इंतजार करते रहे। इसके बाद प्रशासन ने समझाइश कर बिना पोस्टमार्टम के ही शव परिजनों को सौंपा।
केस संख्या- 2 कल्याणपुर कस्बे में कमठा मजदूरी पर आया चारलाई कलां गांव का मंगलराम हाईवोल्टेज विद्युत तार की चपेट में आकर जान गंवा बैठा। पोस्टमार्टम को लेकर बात चली तो बताया कि डॉक्टर को हड़ताल पर है, इसलिए पोस्टमार्टम नहीं होगा। इस पर शव को मोर्चरी रख कर परिजन मातम को भूल पोस्टमार्टम कैसे करवाएं, इस चिंता में लग गए। बाद में फैसला किया पोस्टमार्टम जोधपुर जाकर करवाएंगे।

बाड़मेर. एक तरफ जहां करतार की मर्जी के चलते असामयिक मौत का गम सहने को परिजन मजबूर है तो दूसरी ओर धरती के भगवान (चिकित्सक) हड़ताल पर होने के कारण समय पर पोस्टमार्टम को भी शव तरस रहे हैं। यह वाकया पिछले दो-तीन दिन से कल्याणपुर के आसपास हुई दुर्घटनाओं के देखने को मिला। जहां परिजन मौत के मातम में समय पर पोस्टमार्टम हो जाए इस चिंता में दुखी होते नजर आए।
चिकित्सकों की प्रदेश व्यापी हड़ताल ने जिले की चिकित्सा व्यवस्था को प्रभावित किया है। सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने से लोगों की जान पर बन आई है। पिछले तीन दिन से स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। छोटी-मोटी बीमारी में तो लोग अब अस्पताल की ओर रुख ही नहीं कर रहे। वहीं इलाज की जरूरत महसूस होने पर मरीज निजी अस्पतालों में भी जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जहां निजी अस्पताल की कमी है, वहां इलाज को लेकर लोग भटकने को मजबूर है। इतना ही नहीं दुर्घटनाओं में हताहत होने पर शव के लिए भी परिजनों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। कल्याणपुर में एक दिन पहले मंगलवार को एेसा ही हुआ जब एक कमठा मजदूर मंगलाराम की मौत हो गई। मौत के बाद पोस्टमार्टम समय पर इसलिए नहीं हो पाया कि सरकारी अस्पताल के चिकित्सक हड़ताल पर है। सुबह से घर में जहां महिलाएं रोते-रोते बेहाल होकर उसके अंतिम दर्शन का इंतजार करती रही तो पुरुष मौत के मातम के बीच प्रशासन, चिकित्सकों से अनुनय-विनय करते रहे कि इसका पोस्टमार्टम करवा दो, लेकिन नहीं हो पाया। एेसे में थकहार कर परिजन मोर्चरी के बाहर बैठे रहे और बुधवार को जोधपुर जाकर पोस्टमार्टम करवाया। एेसे ही एक हादसे में रामदेवपुरा निवासी रामाराम की 16 दिसम्बर को मौत हुई। जवान मौत पर पिता खून के आसूं रो रहा था, वहीं परिजन पोस्टमार्टम करवाना चाहते थे, लेकिन डॉक्टर्स की हड़ताल आड़े आ गई। प्रशासन ने थोरे-न्योरे कर परिजनों को पंचनामा करवा शव को लेने के लिए राजी किया।