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तेल नया न रेल,बाड़मेर को दिखाए केवल सपने,बासी कढ़ी में छोंक जैसा बजट

-बजट में केवल सपने -बासी कढ़ी में छोंक जैसा बजट

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Oil and rail are no new,Only dreams show to Barmer

Oil and rail are no new Only dreams show to Barmer

बाड़मेर.विधानसभा में सोमवार को पेश राज्य बजट में बाड़मेर जिले में तेल और रेल से शुरूआत कर राज्य और पश्चिमी राजस्थान को विकास के नए सपने दिखाए गए लेकिन जानकारों ने इसे बासी कढ़ी में छोंक जैसा बताया है। प्रधानमंत्री की 16 जनवरी की रिफाइनरी कार्यारंभ की सभा में दोनों का प्रमुखता से जिक्र हुआ था लेकिन केन्द्रीय बजट में तवज्जो नहीं मिली है। 2009 में तेल उत्पादन प्रतिदिन 2.25 लाख बैरल करने का लक्ष्य लिया गया था और बाड़मेर-जैसलमेर-भाभर रेल का सर्वे 2012-13 में हो चुका है।

यूं समझें तेल की कहानी
बाड़मेर जिले में वर्तमान में प्रतिदिन 1.60 लाख बैरल तेल उत्पादन हो रहा है। केयर्न ने 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के हाथों तेल उत्पादन की शुरूआत करवाई थी, उस दिन कहा था कि 2011 तक प्रतिदिन 2.25 लाख बैरल तेल उत्पादन हो जाएगा। इसके बाद कच्चे तेल की कीमतों में आई मंदी की वजह ये उत्पादन बढऩे की बजाय घटता गया और 1.75 लाख बैरल प्रतिदिन से घटकर 1.40-1.50 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया था जो अब 1.60 लाख बैरल प्रतिदिन है। इधर केयर्न का तेल खोज एवं उत्पादन का लाइसेंस भी 2020 तक खत्म हो रहा था उसे अब बढ़ाया गया है।

12 हजार 500 करोड़ का निवेश और 2 लाख बैरल तेल
राज्य बजट में तेल क्षेत्र में 12 हजार 500 करोड़ के निवेश और प्रतिदिन 2 लाख बैरल तेल उत्पादन की बात की गई जबकि यही घोषणा केन्द्रीय पेट्रोलिमय मंत्री रिफाइनरी के कार्यारंभ पर 16 जनवरी को कर चुके।उन्होंने तो 37 हजार 500 करोड़ के निवेश के बाद प्रतिदिन 5 लाख बैरल तेल उत्पादन की बात कही थी। दरअसल खोज का कार्य बढऩे पर खुलासा हो चुका है। बाड़मेर-सांचौर बेसिन में 60 नए ब्लॉक तलाशने औैर यहां तेल उत्पादन की बात भी केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री इसी सभा में कह चुके हैं।

ये है रेल का खेल

वर्ष 2011-12 के केन्द्रीय बजट में जैसलमेर-बाड़मेर - भाभर रेल लाइन के लिए सर्वे की स्वीकृति हुई। 2012-13 में 328 किमी रेलवे लाइन सर्वे पर 1301.96 करोड़ रुपए व्यय किए गए। इसके बाद रेलवे ने परियोजना को ऋणात्मक बताते हुए असहमति जता दी। रक्षा मंत्रालय के लिए उपयोगी बताते हुए बजट की मांग रखी। 15 दिसंबर 2014 को लोकसभा में सांसद को दिए जवाब में रक्षामंत्रालय ने बजट देने से मना कर दिया। इसके बाद जिले के जनप्रतिनिधियों ने 5000 करोड़ रुपए रेलवे लाइन के लिए देने के वादे किए लेकिन हुआ कुछ नहीं। 16 जनवरी को रिफाइनरी कार्यारंभ की सभा में भी इस मांग को रखा गया था लेकिन केन्द्रीय बजट में इसका जिक्र तक नहीं हुआ है। इस बार फिर राज्य के बजट में इसको प्रमुखता से सामने लाया गया है कि यह मामला उच्च स्तर पर विचाराधीन है।
बालोतरा जिला बनाने की मांग रही अधूरी

जिले की सबसे बड़ी मांग बालोतरा को जिला बनाने की थी। राज्य में पांच नए जिले बनाने पर राज्य केबिनेट में चर्चा की बात के बाद विधायक एवं राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी ने जोर-शोर से क्षेत्र में प्रचार किया कि अब जिला बन जाएगा। यह मांग पूरी नहीं होने से बालोतरा, सिवाना, बायतु, सिणधरी क्षेत्र के विकास के सपने धूल धुसरित हो गए।

नाम तक नहीं लिया

जिले के सिवाना व बायतु विधानसभा क्षेत्र से जुड़ी एक भी घोषणा प्रत्यक्ष नहीं हुई। बजट भाषण में इन दोनों इलाकों का जिक्र तक नहीं किया गया है। चौहटन, शिव , बाड़मेर और गुड़ामालानी के लिए घोषणाएं होने से इनके नाम बजट में बार बार आए।

शुरूआत बाड़मेर से
बजट भाषण की शुरूआत बाड़मेर से हुई। रिफाइनरी को लेकर वाहवाही लेते हुए बताया गया कि इसमें 40 हजार करोड़ रुपए दुबारा एमओयू कर बचाए गए और जैसलमेर-बाड़मेर-भाभर योजना का जिक्र भी सबसे पहले ही किया गया।

इन पर भी नहीं विचार

- नर्मदा परियोजना के लिए बजट

- बाड़मेर लिफ्ट कैनाल के लिए बजट
- सेड़वा में उपखण्ड की घोषणा

- चौहटन में अग्निशमन की जरूरत
- गिड़ा में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र

क्या-क्या मिला बाड़मेर को
1. शिव में राजकीय महाविद्यालय

2. चौहटन में राजकीय महाविद्यालय
3. गुड़ामालानी में देवनारायण छात्रावास

4. बाड़मेर में सिविल न्यायालय
5 गुड़ामालानी में सिविल न्यायालय

6. गुड़ामालानी में अपर मुख्य न्यायालय
7. पोकरण-फलसूण्ड- बालोतरा का कार्य सितंबर 2018 तक पूर्ण करवाना