
सीमावर्ती क्षेत्रों के आखिरी गांवों में चिंतित हैं लोग और बॉर्डर पर तैनात जवान।
भीखभारती गोस्वामी
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के 15 दिन बाद भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकवादी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। तीनों सेनाओं द्वार की गई एयर स्ट्राइक के बाद भारत-पाक सीमा से सटे बाड़मेर जिले के सीमांत गांवों में उत्सुकता का माहौल है। साथ ही सरहद पर सन्नाटा और गांवों में बेचैनी का माहौली है।
पाकिस्तान पर भारत की एयर स्ट्राइक के बाद 1965 और 1971 के युद्धों के साक्षी रहे तथा करगिल युद्ध के दौरान गांव खाली कर चुके ग्रामीण अब एक बार फिर संभावित संकट को लेकर सजग हैं। बार-बार की आतंकी घटनाओं से आक्रोशित लोग अब निर्णायक कार्रवाई की अपेक्षा कर रहे हैं।
एयर स्ट्राइक के बाद सरहद के ग्रामीण इलाकों में युद्ध और सुरक्षा को लेकर चर्चाएं तेज हैं। सीमावर्ती निवासियों का मानना है कि देश सुरक्षा सर्वोपरि है और सरकार को आगे भी दुश्मन देश को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। तामलोर निवासी शेरसिंह सोढा, भारथाराम अकली ने कहा कि इस समय विवाह समारोहों का मौसम है, लेकिन गांवों में हर चर्चा का केंद्र यही है कि आगे क्या होगा। लोग आपसी बातचीत में बार-बार सुरक्षा स्थिति और संभावित फैसलों पर चर्चा करते नजर आ रहे हैं।
गुलाबराम भील बताते हैं कि कारगिल युद्ध के समय त्रिमोही गांव के कई परिवार घर खाली करके सुरक्षित स्थानों पर गए थे। उनमें उनका परिवार भी शामिल था। इस बार फिर ऐसी परिस्थितियां बनने से आमजन के समक्ष संकट उत्पन्न हो गया है। लोग चिंतित हैं, कि क्या फिर गांव खाली करना पड़ेगा।
बाखासर, कैलनोर, गडरारोड़, मुनाबाव, रोहिड़ी और सुन्दरा से लेकर जैसलमेर तक सीमा से सटे करीब 200 गांवों में उच्च सतर्कता बरती जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा शाम 6 बजे के बाद आवागमन पर सख्ती की गई है और हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा रही है। एयर स्ट्राइक के बाद हाई अलर्ट घोषित किया गया है। इंटरनेट और सोशल मीडिया की पहुंच के कारण यहां के लोग पल-पल की जानकारी ले रहे हैं।
हाल के वर्षों में क्षेत्र में हुए विकास कार्यों के चलते लोग सुखद भविष्य की ओर अग्रसर थे। सिंचाई परियोजनाओं और अच्छी फसल के बाद ग्रामीणों ने अपने जीवनस्तर को बेहतर करने की योजना बनाई थी। लेकिन ताजा हालातों ने इन योजनाओं पर अनिश्चितता की छाया डाल दी है।
ढाट क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिकों पूर्व सरपंच रमेशचंद्र चांडक, दशरथ मेघवाल,तुलजा राम महेश्वरी, देवाराम दर्जी ने बताया कि देश को पिछली घटनाओं से सीख लेकर भविष्य की रणनीति तय करनी चाहिए। ग्रामीणों का मानना है कि अब समय आ गया है जब सुरक्षा को लेकर कोई भी ढिलाई न बरती जाए और देश को स्पष्ट संदेश दिया जाए कि आतंकी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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Updated on:
07 May 2025 11:09 am
Published on:
07 May 2025 11:01 am
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