
गडरारोड़-मुनाबाव मार्ग पर बन रहा ओवरब्रिज। फोटो- पत्रिका
बाड़मेर। शहर के गडरारोड़-मुनाबाव मार्ग पर बन रहा ओवरब्रिज चार साल बाद भी अधूरा है। 55.28 करोड़ रुपए की लागत से शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट अब तक कई बार निरीक्षण और स्वीकृति के फेर में फंस चुका है। इंजीनियर हर बार नई तारीख देते रहे, लेकिन रेलवे की क्वालिटी जांच पूरी नहीं होने से न तो पूरा काम हो रहा है और न ही ब्रिज जनता के लिए खुल पा रहा है।
दो दिन पहले आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन) लखनऊ की टीम ने गडरारोड़ ओवरब्रिज का निरीक्षण किया। टीम ने 52 मीटर हिस्से पर बने 700 मैट्रिक टन स्टील के बो-स्ट्रिंग गर्डर ब्रिज की गुणवत्ता जांची और कई तकनीकी कमियां बताई हैं। अब टीम की रिपोर्ट तैयार होने में करीब 15 दिन लगेंगे। रिपोर्ट आने के बाद ही रेलवे से अंतिम स्वीकृति मिलेगी और काम आगे बढ़ सकेगा।
इस ओवरब्रिज का 90 फीसदी निर्माण कार्य तो डेढ़ साल पहले ही पूरा हो चुका है, लेकिन रेलवे पटरियों के ऊपर बनने वाले हिस्से के लिए अलग स्वीकृति की जरूरत थी। स्वीकृति मिलने में देरी के बाद मेहसाणा फैक्ट्री से स्टील के गर्डर लाकर जोड़े गए। रेलवे की ओर से फोर-पॉइंट सर्टिफिकेट भी भेजा गया, पर अब अंतिम गुणवत्ता जांच में मामला अटका हुआ है।
अक्टूबर 2021 में शुरू हुए 967 मीटर लंबे ओवरब्रिज को अक्टूबर 2023 तक पूरा होना था, लेकिन चार साल बीतने के बाद भी यह अधूरा है। कार्य में देरी की सबसे बड़ी वजह रेलवे की जटिल स्वीकृति प्रक्रिया बताई जा रही है।
ब्रिज के अधूरा रहने से भारी वाहनों को 3 किलोमीटर की जगह 10 किलोमीटर का डायवर्जन लेना पड़ता है। वहीं शहर के एकमात्र अंडरब्रिज पर दिनभर जाम की स्थिति रहती है। स्कूली समय में वाहन फंसने से आमजन परेशान हैं।
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ओवरब्रिज का करीब 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। आरडीएसओ टीम ने निरीक्षण किया है और कुछ कमियां बताई हैं। रिपोर्ट 15 दिन में मिलने की संभावना है। स्वीकृति मिलते ही शेष कार्य पूरा कर अगले दो माह में ओवरब्रिज शुरू करने का प्रयास रहेगा।
Updated on:
09 Nov 2025 04:33 pm
Published on:
09 Nov 2025 04:27 pm
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