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SMS Hospital: किडनी रोगी बढ़े , ट्रांसप्लांट और डायलिसिस के लंबे इंतजार में टूट रहा दम

प्रदेश में किडनी की बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अब हालात यह हैं कि अस्पतालों में किडनी मरीजों को डायलिसिस के लिए इंतजार करना पड़ता है। मरीजों को तीन-चार दिन बाद की तारीख दी जा रही है।

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बाड़मेर। प्रदेश में किडनी की बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अब हालात यह हैं कि अस्पतालों में किडनी मरीजों को डायलिसिस के लिए इंतजार करना पड़ता है। मरीजों को तीन-चार दिन बाद की तारीख दी जा रही है। राजस्थान में 602 मरीज किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के लिए पंजीकृत हैं। किडनी के लिए डोनर्स कम मिलते हैं, इसके चलते रिसीवर का आंकड़ा भी काफी तेजी से बढ़ा है। विशेषज्ञों के अनुसार हर साल करीब 11 प्रतिशत किडनी रोगी बढ़ रहे हैं। इसके चलते अस्पतालों के डायलिसिस सेंटर पर भी दबाव बढ़ा है। किडनी ट्रांसप्लांट करवाने वाले रोगियों की कतार लंबी होती जा रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन की ओर से लोकसभा में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार पांच वर्षों में भारत में प्रत्यारोपित किए गए शीर्ष तीन अंग किडनी हैं। जिसमें 43983 प्रत्यारोपण हुए हैं, जो कुल का 75 फीसदी हैं। प्रदेश के सबसे बड़े सवाईमानसिंह अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 256 मरीज वेटिंग लिस्ट में है।

बाड़मेर के मेडिकल कॉलेज कॉलेज से संबंद्ध राजकीय अस्पताल में डायलिसिस के लिए मरीजों को आगे की तारीख दी जा रही है। डायलिसिस सेंटर में वर्तमान में तीन मशीनें लगी हैं। लेकिन मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है। इसके चलते गंभीर मरीजों को डायलिसिस में वरीयता दी जा रही है। अन्य मरीजों को चार-पांच दिन आगे की तारीख दे रहे हैं। सेंटर में साल 2023 में कुल 2086 डायलिसिस की गई।

राजस्थान में करीब एक महीने पहले तक किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 581 मरीज पंजीकृत थे। जो अब बढकर 602 पर पहुंच गई है। डोनर्स नहीं मिलने के कारण किडनी ट्रांसप्लांट के मरीजों की सूची भी लंबी हो रही है। समय पर किडनी नहीं मिलने से कई मरीजों की मौत हो जाती है।

साल में 8-10 ट्रांसप्लांट

एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर, गुर्दा रोग विशेषज्ञ, डॉ. धनंजय अग्रवाल ने मामले पर कहा कि जिला स्तर पर भी इसके लिए सुविधाएं विकसित होनी चाहिए। एसएमएस में हर साल 8 से 10 कैडेवरिक किडनी ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं। यही गति रही तो सभी मरीजों के ट्रांसप्लांट करने में करीब 25 साल लग जाएंगे, जो गंभीर बीमारी के मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं।

> प्रति वर्ष करीब 2 लाख भारतीयों के गुर्दै फेल होने को कारण प्रत्यारोपण की जरुरत होती है।

> किडनी प्रत्यारोपण के मामले में भारत विश्व रैंकिंग में अमरीका के बेाद दूसरे स्थान पर।





















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स्रोत: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय

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