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पढ़िए भंवरी देवी की दर्दभरी कहानीः हाथ-पांव की अंगुलियां और ना ही आंखें, अब कैसे बने आधार कार्ड

सरकारी योजनाएं नियमों से चलती है और कई बार इनके विपरीत स्थितियां हो जाती है। सरकार नियमों की लकीर नहीं तोड़ रही इससे एक बुजुर्ग महिला तमाम योजनाओं से वंचित है।

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सरकारी योजनाएं नियमों से चलती है और कई बार इनके विपरीत स्थितियां हो जाती है। सरकार नियमों की लकीर नहीं तोड़ रही इससे एक बुजुर्ग महिला तमाम योजनाओं से वंचित है। सरकारी नियम में आधार कार्ड तभी बनेगा जब फिंगर प्रिंट और आई रेटिना हों। कानोड़ की भंवरीदेवी के दोनों ही नहीं है। आधार नहीं बना तो अब उसे उन तमाम सरकारी लाभ से वंचित किया जा रहा है जिसकी वह हकदार है।

ग्राम पंचायत कानोड़ के खरथानियों का तला में भंवरी देवी पत्नी वगत पुरी 60 साल से दिव्यांगता का दंश झेल रही है। पूर्व में भंवरी देवी का परिवार बीपीएल में चयनित था , जिससे उनको पेंशन और राशन मिलता था,लेकिन जब से सरकार ने आधार कार्ड से लिंक कर सुविधाएं देनी शुरू की तभी से भंवरी देवी की सारी सुविधाएं बंद हो चुकी है।

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इस महिला के न तो हाथ की अंगुलियां है और न ही पांव की है और न ही उनकी आंखें है। इस वजह से आधार कार्ड ही नहीं बन रहा है। एक बेटा है, जो परिवार का पालन-पोषण यजमानवृत्ति से करता है। भंवरी देवी के पति का निधन 12 साल पूर्व हो गया था। सात बेटियां ससुराल में है। उन्होंने बताया कि पहले पेंशन आती थी, लेकिन जबसे ऑनलाइन आधार शुरू हुए है तब से उनकी पेंशन बंद है और खाद्य सुरक्षा से भी नाम कट चुका है। सरकारी कोई भी सुविधा आज तक इस परिवार को नहीं मिली । इस परिवार ने सरकार से गुहार लगाई है कि हमें खाद्य सुरक्षा से जोड़ा जाए ।

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