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नए साल का जश्न मनाने के लिए बाड़मेर में मखमली धोरों पर पहुंच रहे सैलानी

नए साल का जश्न मनाने के लिए बॉर्डर के मखमली धोरों पर लोग पहुंच रहे हैैं। हालांकि यहां जैसलमेर के सम की तरह ना तो रेस्टोरेंट है और ना ही अन्य सुविधाएं।

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गडरारोड के रोहिड़ी में कैमल सफारी का लुत्फ उठाते सैलानी।

बाड़मेर। नए साल का जश्न मनाने के लिए बॉर्डर के मखमली धोरों पर लोग पहुंच रहे हैैं। हालांकि यहां जैसलमेर के सम की तरह ना तो रेस्टोरेंट है और ना ही अन्य सुविधाएं। बावजूद इसके बाड़मेर जिले की विभिन्न कम्पनियों में लगे बाहरी प्रदेश के लोग, अन्य जिलों के बाशिंदे अपने परिवार सहित रेतीले टीलों की सैर कर रहे हैं। न्यू ईयर पर यह एक नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर्यटकों को लुभा रहा है। ऐसे में स्थानीय बांशिदे भी अपनी ऊंटों को सजा-धजा कर तैयार रख रहे हैं जिससे कि यहां आने वाले चंद सैलानी कैमल सफारी का आनंद उठा सके। न्यू ईयर के जश्न के बीच दिन में यहां सैलानी आने की संभावना जरूर रहेगी।

बाड़मेर शहर से 140 किमी व गडरा रोड से 60 किमी दूर रोहिड़ी के मखमली धोरे सभी को आकर्षित कर रहे हैं। ध्यान रहे कि जैसलमेर के विख्यात सम के धोरों पर इन दिनों भारी भीड़ होने के चलते स्थानीय लोगों ने पास ही रोहिड़ी के धोरों को चुना है। एक ओर जहां भारत माला हाईवे सड़क से जुड़ने के बाद रोहिड़ी पहुंचना भी अब सहज व सुगम हो गया है तो वहीं मुनाबाव सीमा दर्शन के बाद 15 किमी पास रोहिड़ी के सुनहरे धोरे हर सभी को लुभा रहे हैं।

पत्रिका ने चलाया अभियान
बाड़मेर जिले में पर्यटन विकास की बढ़ती संभावनाओं के मद्देनजर किराडू मंदिर, रेडाणा का रण, गडरारोड शहीद स्मारक, भारत-पाक बॉर्डर, अंतरराष्ट्रीय रेलवे स्टेशन मुनाबाव व रोहिड़ी के धोरों को पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित करने की पत्रिका ने आवाज उठाई है। बॉर्डर टूरिज्म के विकास के लिए पत्रिका ने अभियान चला कर लगातार समाचार प्रकाशित किए और सरकार सहित आमजन का ध्यान आकृष्ट किया, जिसकी बदौलत इस बार बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने का सिलसिला शुरू हुआ है।

पत्रिका अभियान: वाघा में यों सैल्यूट तो मुनाबाव में क्यों नहीं,मखमली रोहिड़ी के धोरे बन सकते हैं सबके आकर्षण का केंद्र,’’केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश’’ जैसे लगातार समाचार प्रकाशित कर पर्यटन विकास से पत्रिका ने ही मांग की।

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पशु मेला पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र
एक पखवाड़े से अधिक चलने वाले देश के विख्यात मल्लीनाथ पशु मेले तिलवाड़ा में देश भर से पशुपालक यहां आते हैं। पशुओं यह मेला पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। यहां खरीदारी करने के लिए समूचे मारवाड़ से हजारों लोग पहुंचते हैं। वे मेला देखने का आनंद उठाने के साथ जरूरत के सामान की खरीदारी करते हैं।

सातवीं शताब्दी से पहले मेले की शुरुआत हुई थी। कोरोना वर्ष को छोड़ आज दिन तक लगातार मेले का आयोजन होता रहा है। मेले में विभिन्न प्रांतों के पशुपालक ,उन्नत नस्ल के पशु लेकर पहुंचते हैं। इस पर इनकी खरीद के लिए देश भर से पशु व्यापारी भी पहुंचते हैं। मेले में दैनिक जरूरत व पशुओं के शृंगार के सामान के लिए यहां सैकड़ों दुकानें लगती हैं।


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मल्लीनाथ पशु मेला तिलवाड़ा देश का विख्यात पशु मेला है। मेले में हर वर्ष हजारों पशु पहुंचते हैं। मेला मैदान में बजरी खनन रोका जाए तो मेले में पर्यटकों की तादाद बढ़ सकती । -मांगीलाल देवासी

पचपदरा तहसील क्षेत्र में बजरी खनन के लिए लीज पट्टा जारी है।इसके बावजूद अगी कहीं नियम विरुद्ध अवैध खनन होता है, तो जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। -भगवानसिंह एमआई खनन विभाग बाड़मेर।


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