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नपा की राजस्व शाखा में करोड़ों के गबन पर खामोशी का ताला

नपा की राजस्व शाखा में खेला गया था गबन का खेल, तीन करोड़ तक की राशि का हेरफेर होने की आशंका, फर्जी रसीदों से वसूला टैक्स और राशि जमा नहीं की

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Embezzlement of NPA's revenue branch

Embezzlement of NPA's revenue branch

बड़वानी. नगर पालिका के राजस्व विभाग में करोड़ों का गबन होने के बाद भी इस पर डेढ़ साल से खामोशी का ताला लगाया हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी सहायक निरीक्षक को सस्पेंड तो कर दिया लेकिन अब तक इस पर आगे की कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ऐेसे में इस गबन में कई लोगों के भी शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। लोगों के मकान और दुकानों के नामातंरण के लिए फर्जी रसीदों के जरिये इस खेल को लंबे समय तक खेला गया था। लेकिन बात सामने आने के बाद अंदरखाने सिर्फ आरोपी को सस्पेंड करने की ही कार्रवाई की गई। गबन की अनुमानित राशि तीन करोड़ से ज्यादा की बताई जा रही है।
राशि के गबन का खेल भी चल रहा था
सूत्रों के मुताबिक सहायक राजस्व निरीक्षक सतीश नामदेव के खिलाफ तत्कालीन परिषद के सदस्यों और आम लोगों ने नामांतरण के लिए पैसों की मांग की जाने की शिकायतें की थी। इसी दौरान से राशि के गबन का खेल भी चल रहा था। सूत्रों का दावा है कि आरोपी सहायक निरीक्षक नामदेव ने नगर पालिका की बुकों की तरह ही फर्जी बुकों की रसीदों पर लोगों का पैसा जमा किया। लोगों को तो नामातंरण प्रमाण पत्र दे दिया गया लेकिन राजस्व शाखा के खाते में राशि नहीं की गई। जब इस संबंध में किसी ने लगातार शिकायतें की तब जाकर नपा प्रशासन ने इस मामले की अंदर खाने ही जांच कराई। 29 नवंबर 2016 को तत्कालीन सीएमओ ने नोटशीट चलाई थी। इसके बाद सतीश नामदेव को राशि जमा कराने के लिए लगातार नोटिस दिए गए। लेकिन उन्होंने न तो रसीद बुक जमा कराई न राशि जमा कराई।
शिकायतों के बाद हुई तफ्तीश
लगातार शिकायतों के बाद 18 नवंबर 2016 को तत्कालीन सीएमओ ने एक ओर आदेश जारी किया था। जिसमें अकाउंट शाखा के दो अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि सतीश नामदेव को निकाय कोष में किस रसीद बुक से कितनी राशि जमा की गई है, इसकी जानकारी दी जाए। जब अकाउंट विभाग ने रसीदों को मिलान शुरू किया तब गबन का खेल सामने आया। कि कई रसीदें ऐेसी भी हैं जो लोगों को तो दी गई, लेकिन उसकी राशि जमा नहीं की गई। इसका जोड़ उस वक्त डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा का बताया गया था। लेकिन जैसे जैसे आंकलन होता गया राशि भी बढ़ती चली गई।
किसी भी सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं
सूत्रों का कहना है कि लोगों को जो नामांतरण दिए गए। उनमें से ज्यादातर प्रमाण पत्रों पर सीएमओ सहित अन्य किसी भी सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर ही नहीं कराए गए। ऐसे में अधिकारियों की नाक के नीचे यह खेल चलता रहा और अधिकारियों को पता भी नहीं चला। कई रसीदें तो लोगों को दे दी गई लेकिन राशि जमा नहीं की गई। इसमें ज्यादातर रसीदें कुशाभाऊ ठाकरे कॉम्प्लेक्स की दुकानों से संबंधित थी। जो रसीदें काटी गई और राशि जमा नहीं की गई। उनकी क्षमता एक लाख से पांच लाख तक बताई जाती है।
एक साल पहले किया था सस्पेंड
मामला सामने आने के बाद नपा सीएमओ ने 20 फरवरी 2017 को सतीश नामदेव को निलंबित करने के आदेश दिए थे। इसके बाद नामदेव अब तक सस्पेंड ही चल रहे हैं। नपा प्रशासन ने सतीश के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई थी। लेकिन मामला अभी भी वहीं अटका हुआ है। आज तक इस मामले में आरोपी सहायक निरीक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से कई सवल खड़े हो रहे हैं। स्थिति यह है कि अब जाकर नपा सीएमओ ने इस बात को गंभीरता से लेकर जांच समिति बनाने की बात की है।
कई लोग हो सकते हैं शामिल
गबन के इस खेल में अकेले सतीश नामदेव का नाम सामने आया है। लेकिन अंदर खाने कई लोगों के भी शामिल होने की आशंका जमाती जा रही है। कई लोगों की शामिली के कारण ही इस मामले में अब तक खामोशी का ताला डला हुआ है। ऐसे में नपा की छवि पर भी असर पड़ रहा है।
वर्जन...
आरोपी से दस्तावेज मांगे थे। लेकिन उसने उपलब्ध नहीं करवाएं। वहीं वरिष्ठालय को सख्त कार्रवाई के लिए लिखा है। कार्यालय से जांच के लिए समिति बनाई जा रही है। इसके बाद कार्रवाई होगी।
-राजेंद्र मिश्रा, सीएमओ, नपा