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Health News: ज्यादा केमिकल वाले कॉस्मेटिक प्रोडक्ट का भूलकर भी न करें इस्तेमाल, बन सकते हैं दाग

Beauty Tips in Hindi: विटिलाइगो यानी सफेद दाग त्वचा से जुड़ी सामान्य कॉस्मेटिक प्रॉब्लम है

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Deovrat Singh

Sep 08, 2021

Beauty Tips in Hindi

Beauty Tips in Hindi: विटिलाइगो यानी सफेद दाग त्वचा से जुड़ी सामान्य कॉस्मेटिक प्रॉब्लम है लेकिन इससे जुड़े अंधविश्वासों की वजह से पीडि़त लोगों को समाज में अकसर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। शरीर के अन्य हिस्सों की तरह त्वचा के साथ भी कुछ समस्याएं होना स्वाभाविक है। जलने-कटने के निशान, काले धब्बे, तिल या मस्से जैसी स्किन प्रॉब्लस को लोग सहजता से झेल लेते हैं लेकिन यानी सफेद दाग एक ऐसी बीमारी है जिसमें सामाजिक मान्यताओं और अंधविश्वासों की वजह से पीडि़त खुद को उपेक्षित महसूस करता है। जानते हैं इसके बारे में ...

समझें क्या है यह बीमारी
यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है जिसमें व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता उसकी त्वचा को नुकसान पहुंचाने लगती है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम की कार्यप्रणाली में होने वाली गड़बड़ी का परिणाम है। ऐसी स्थिति में त्वचा का रंग तय करने वाली मेलेनोसाइट्स नामक कोशिका धीरे—धीरे नष्ट होने लगती है। नतीजन त्वचा पर सफेद धब्बे नजर आने लगते हैं। यह समस्या होंठों और हाथ-पैरों पर दिखाई देती है। शरीर के कई अलग-अलग हिस्सों पर भी ऐसे दाग नजर आ सकते हैं। अक्सर ऐसे दाग शरीर के ऊपरी हिस्से से नीचे की ओर अधिक फैलते नजर आते हैं। ऐसे में बिना लापरवाही बरते तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

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क्या है इलाज?
जिनकी त्वचा संवेदनशील है वे खासकर तेज गंध वाले साबुन, हेयर कलर, डियो और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट से दूर रहें। कई बार लोग इसे छिपाने के लिए टैटू बनवाते हैं ऐसा बिल्कुल भी न करें। इससे सफेद दाग फैलने का खतरा बढ़ जाता है। कुछ मामलों में इसका इलाज होने के बाद दोबारा हो सकता है। ऐसे में दोबारा दवाएं लेनी पड़ सकी है। अगर दाग खत्म होने के दो साल बाद तक ये दोबारा न हो तो स्थिति सामान्य कही जा सकती है। इसके उपचार के तौर पर स्किन ग्राफ्टिंग तकनीक अपनाई जाती है। इसमें शरीर के किसी एक हिस्से से त्वचा निकालकर दाग वाले हिस्से पर लगा देते हैं। इसके अलावा सक्शन ब्लिस्टर एपिडर्मल ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिए सामान्य त्वचा को वैक्यूम के माध्यम से दो अलग हिस्सों में विभाजित करके उसे दाग वाले हिस्से पर रखा जाता है। इससे त्वचा की रंगत बनाने वाले तत्त्व मिलेनिन दाग वाली जगह में समाकर धीरे-धीरे वहां की सफेद रंगत को बदलना शुरू कर देता है।

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क्या हो सकते हैं कारण
आनुवंशिकता यानी अगर माता-पिता को यह डिजीज हो तो बच्चों में भी इसकी आशंका बढ़ जाती है। हालांकि जरूरी नहीं है। कि इससे पीडि़त हर व्यक्ति की संतान को भी ऐसी समस्या हो।
कुछ लोगों के शरीर पर छोटे-छोटे गोल धब्बे बनने लगते हैं और उस स्थान से रोएं गायब होने लगते हैं। इसे एलोपेशिया एरियाटा कहा जाता है। भविष्य में समस्या विटिलाइगो का भी कारण बन सकती है।

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