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सात समंदर पार कर इस गांव में पहुंचे साइबेरियन पक्षी, लोग बोले – ये हमारे लिए देवता से कम नहीं… खुशी का माहौल

Siberian Birds: गांव वालों का मानना है कि मानसून शुरू होने से 15 दिन पहले यह पक्षी गांव के पेड़ों मैं आकर अपना बसेरा बना लेते हैं। गांव वालों को मानना है इनकी आने से हमेशा मानसून अच्छी होती है और गांव में तरह किसी तरह हानि नहीं होती है।

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साइबेरियन पक्षी (फोटो सोर्स- unsplash)

साइबेरियन पक्षी (फोटो सोर्स- unsplash)

Siberian Birds: नवागढ़ ब्लॉक के ग्राम कटई में मानसून का पैगाम लेकर साइबेरियन पक्षियों ने एकादशी के दिन से आमद दे दी है। दो दशक से इस गांव में आने वाले इन विदेशी मेहमानों ने किसानों को यह बता दिया है कि हम आए तो समझो बारिश आई।

हम रुके तो समझो की बारिश होगी। हम समय से पहले गए तो अकाल होगा। ग्राम कटई निवासी चुमन वर्मा ने बताया कि इनके आते ही संकेत मिल जाता है कि बारिश दस्तक देने वाली है।

गांव वाले इन्हें देवता से कम नहीं मानते

गांव वालों ने बताया कि इस बार दस दिन पूर्व आगमन हुआ है। धीरे-धीरे पूरी टीम आएगी। गांव के तालाब किनारे पेड़ और गांव के चारों ओर लगे पेड़ों में इनका बसेरा रहता है। गांव वाले इन्हें देवता से कम नहीं मानते। वे बताते हैं कि बारिश कैसी होगी। दिनभर आसपास के नाला, तालाब, पोखर में चारा चुगकर शाम को अपने बसेरा में लौट आते हैं।

प्रजनन के बाद जनवरी फरवरी में ठंड की विदाई के साथ विदाई लेते हैं। गांव वाले इन्हें सुरक्षित रखने का पूरा प्रयास करते हैं। वे जब समय पूर्व गांव छोड़कर गए तब-तब अकाल पड़ा। इनके चरण इस गांव के लिए शुभ हैं।

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सात समंदर पार कर आ गए साइबेरियन पक्षी

ब्लॉक में एक तरफ पक्षी विहार योजना में ग्राम गिधवा में राज्य सरकार खर्च कर रही है, जिसमें कोई सफलता फिलहाल नहीं मिली है। दूसरी ओर सात समुंदर पार कर ग्राम कटई आने वाले इन विदेशी मेहमानों के लिए आजतक एक आभियान भी नहीं चलाया जा सका। बेहतर तालाब, सघन पौधरोपण, पक्षियों के अनुकूल वातावरण बनाने का न प्रयास हुआ न किया जा रहा है। इस गांव को पीपल की जरूरत है।

सालभर लबालब रहने वाले सरोवर की। पक्षियों के कलरव को सरकार नहीं सुनती। ग्रामीणों की आवाज़ दबा दी जाती है। अधिकारी कैमरे लेकर आते हैं और तस्वीर लेकर चले जाते हैं। यदि इन्हें सुविधा मिले तो अधिक संख्या में आएंगे तय है।