
कैसे उगते हैं पेड़ पर काजू ...जानने के लिए मध्य प्रदेश में आइए
बैतूल। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह के पौष्टिक पदार्थ को डेली रुटीन में शामिल करने की सलाह हमेशा डाॅक्टर या डायटिशियन देते रहते हैं। आपकी डाइट में ड्राई फ्रूट्स (dry fruits)की जहां कहीं भी बात चलती है तो काजू का जिक्र जरूर आता है। काजू (cashew nuts)से किसी का बावास्ता स्वास्थ्यवर्धक के रुप में हुआ होगा तो कोई इसका उपयोग भांति-भांति के स्वादिष्ट व्यंजनों को बनाने के लिए करता है। करीब-करीब सभी का वास्ता काजू से रहा होगा लेकिन क्या आपने कभी काजू के पेड़ देखे हैं। पेड़ पर लगे हुए काजू कभी देखा है (have you seen cashew nut tree)। काजू किस तरह आदिवासी क्षेत्रों के बाग-बगीचों से हमारे खानपान का हिस्सा बनता है इसको जानना हो तो कभी मध्य प्रदेश जरूर आईए।
बैतूल में काजू की बहार है, देखकर मन बाग-बाग हो जाएगा
बैतूल जिले (Betul district) में काजू (Cashew nuts) का अच्छा खासा पैदावार होता है। इस वक्त इन क्षेत्रों में लाल व क्रीम कलर के फल से काजू के पेड़ों पर बहार आई हुई है। जिले के घोड़ाडोगरी ब्लाॅक के धाड़गांव में कई किसान काजू को संजोने में लगे हुए हैं।
आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में रहने वाले किसान गिरधारी धुर्वे की पूरी अर्थव्यवस्था काजू पर निर्भर है। धुर्वे, उनकी पत्नी सुशीला व बेटा अजय खेती में उनका हाथ बंटाते हैं। सुशीला व अजय पेड़ों की देखभाल करते हैं ताकि फल को नुकसान नहीं पहुंचे।
सुशीला बताती हैं कि पेड़ों पर काजू के फल उगते हैं वह लाल व क्रीम कलर का होता है। इसे कैश्यू एप्पल (Cashew Apple)भी कहा जाता है। दो भागों में बंटे इस फल के लाल भाग को एप्पल कहते हैं। जबकि क्रीम कलर वाला नट कहलाता है जिसके अंदर से काजू निकलता है।
धुर्वे बताते हैं कि पेड़ पर फल पकने के बाद नीचे गिरता है। पका हुआ फल गिरने के बाद उसे एकत्र किया जाता है। किसान के लिए फल एकत्र करना रोज का काम होता है। इस फल को सुखाया जाता है। सूखाने के पहले एप्पल व नट को अलग-अलग किया जाता। नट जिसमें काजू होता है उसे किसान बेच देते हैं। जबकि एप्पल का उपयोग खुद करते हैं।
एप्पल का उपयोग खुद करते हैं किसान
आदिवासी क्षेत्रों में किसान काजू को बेच देते हैं लेकिन उसमें लगे लाल भाग जो एप्पल कहलाता है, उसका उपयोग स्वयं करते हैं। किसान से व्यापारी काजू कैश में लेता है। जबकि किसान परिवार फल के लाल भाग को सूखाकर रख लेता है और उसे खाता है। सेब के जैसा दिखने वाला काजू का यह भाग काफी पौष्टिक होता है, जिसे बड़े चाव से खाते हैं।
इस तरह आपके घरों तक पहुंचता है काजू
काजू का फल तोड़ने के बाद किसान उसको तीन दिनों तक धूप में सुखाता है। काजू के पेड़ पर फल अमूमन अप्रैल-मई के महीनों में तैयार होता है। व्यापारी काजू के क्रीम कलर वाले पार्ट को सूखाने के बाद किसान से खरीदता है। व्यापारी इसे प्रोसेसिंग यूनिट पर ले जाते हैं। यहां इनकी प्रोसेसिंग शुरू होती है। सबसे पहले इन फलों को स्टीम प्रेशर पर रोस्ट किया जाता है। रोस्ट करने के बाद प्रोसेसिंग यूनिट में लगे विशेष मशीन से बहुत ही सावधानी के साथ फल का उपरी परत निकाला जाता है ताकि काजू साबूत निकल सके। इसके बाद इनकी छंटाई कर पैकिंग कराई जाती है। यहां से यह विभिन्न बाजारों से होते हुए आपके घरों तक पहुंचता है।
काजू का फायदा जानते हैं आप
Published on:
08 May 2020 03:47 pm
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