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भरतपुर में जज के परिवार की हत्या का मामला: 5 लाख का इनामी बदमाश गिरफ्तार, 15 साल से था फरार

Rajasthan News: राजस्थान पुलिस की AGTF ने महत्वपूर्ण कार्रवाई में 15 साल से फरार चल रहे एक जघन्य हत्याकांड के मुख्य आरोपी प्रवीण उर्फ लाला को गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया है।

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Praveen accused of murder

फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Rajasthan News: राजस्थान पुलिस की एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स (AGTF) ने अपनी अब तक की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण कार्रवाई में 15 साल से फरार चल रहे एक जघन्य हत्याकांड के मुख्य आरोपी प्रवीण उर्फ लाला निवासी नल बाजार कांमा को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया है। यह अपराधी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा 5 लाख रुपये का इनामी घोषित था और पिछले 15 वर्षों से देश की कई पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को चकमा दे रहा था।

क्या था मामला?

यह मामला 29 जुलाई 2010 का है, जब भरतपुर जिले के कामां में तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामेश्वर दयाल रोहिल्ला के परिवार पर हमला किया गया था। पुरानी रंजिश के चलते, परसराम, डालचंद, प्रवीण उर्फ लाला और बबलू ने फायरिंग कर जज के पिता खेमचंद रोहिल्ला और भाई गिर्राज प्रसाद की नृशंस हत्या कर दी थी। इस हमले में उनके भाई एडवोकेट राजेंद्र प्रसाद रोहिल्ला, प्रमिला और अंजू भी गोली लगने से घायल हुए थे। इस जघन्य हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त प्रवीण उर्फ लाला था, जो घटना के बाद से फरार था।

2011 में CBI ने संभाली थी जांच

राजस्थान पुलिस द्वारा 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किए जाने के बावजूद जब आरोपी पकड़ में नहीं आया, तो मामले की गंभीरता को देखते हुए मार्च 2011 में उच्च न्यायालय ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई ने इस हत्याकांड में परसराम, प्रवीण उर्फ लाला, डालचंद और पदम सिंह को दोषी माना था।

इस हत्याकांड के दो वर्ष बाद आरोपी पदम सिंह व डालचंद को गिरफ्तार कर लिया गया था। सीबीआई ने भी अथक प्रयास किए और प्रवीण उर्फ लाला व परसराम की गिरफ्तारी पर 5-5 लाख रुपये का इनाम घोषित किया। दोनों भाई प्रवीण उर्फ लाला और परसराम पिछले 15 साल से फरार थे।

ऐसे दबोचा गया अपराधी

अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स और अपराध दिनेश एमएन के निर्देशन में AGTF ने इस फरार अपराधी को पकड़ने का काम प्राथमिकता पर लिया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिद्धांत शर्मा के नेतृत्व और राजेश मलिक के सुपरविजन में एक विशेष टीम का गठन किया गया, जिसमें हेड कांस्टेबल महेंद्र कुमार बिजारणियां, राम अवतार और अभिमन्यु कुमार सिंह ने डेढ़ साल तक अथक प्रयास किए।

19 अगस्त 2025 को मुखबिर से मिली सटीक सूचना के आधार पर, टीम तुरंत दिल्ली और गाजियाबाद के सीमावर्ती इलाकों में रवाना हुई। टीम ने आरोपियों की तलाश में आसूचना के आधार पर राज्य एवं राज्य के बाहर कई स्थानों पर दबिश दी।

तंग गलियों में घूम कर की पहचान

टीम ने सैकड़ों तंग गलियों और लाखों की आबादी में प्रतिदिन लगभग 20 किलोमीटर घूम कर प्रवीण की पहचान कर उसके ठिकाने का पता लगाया। आज शुक्रवार सुबह 4 बजे, एजीटीएफ टीम ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से गाजियाबाद में प्रवीण के ठिकाने पर छापा मारा। वह बदले हुए नामों से फर्जी दस्तावेज बनवाकर अपनी पहचान छिपाकर रह रहा था। पुलिस ने आखिरकार उसे धर दबोचा, जिससे 15 साल से चले आ रहे एक बड़े केस में पुलिस को भारी सफलता मिली।

इस कार्रवाई में हेड कांस्टेबल महेंद्र कुमार, राम अवतार और अभिमन्यु कुमार सिंह की विशेष भूमिका रही। जबकि टीम में शामिल पुलिस निरीक्षक सुभाष सिंह तंवर, हेड कांस्टेबल राधा मोहन व कमल सिंह और कांस्टेबल रविंद्र सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा।