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भिलाई

90 फीसदी बीएसपी कर्मी वेतन समझौता को मान रहे चुनाव का अहम मुद्दा

लोकसभा चुनाव में 90 फीसदी भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी वेतन समझौता को चुनाव का अहम मुद्दा मान रहे हैं। कर्मी मानते हैं कि चुनाव में वे इसको सामने रखकर ही मतदान करेंगे। यह मुद्दा इस वजह से सब पर हावी है, क्योंकि वेतन समझौते के सहारे ही कर्मियों की पगार 1970 से अब तक 70 रुपए से 15830 रुपए तक जा पहुंचा है। वर्तमान में वेतन समझौता नहीं होने की वजह से कर्मियों को साल में कम से कम 60 हजार से अधिक का नुकसान हो रहा है। यूनियन नेता चाहते हैं कि 2017 से वेतन समझौता का पूरा लाभ मिले, वहीं प्रबंधन तब से देने को तैयार नहीं है। इस वजह से वेतन समझौता अधूरा है।

भिलाईMay 06, 2024 / 10:05 pm

Abdul Salam

लोकसभा चुनाव में 90 फीसदी भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी वेतन समझौता को चुनाव का अहम मुद्दा मान रहे हैं। कर्मी मानते हैं कि चुनाव में वे इसको सामने रखकर ही मतदान करेंगे। यह मुद्दा इस वजह से सब पर हावी है, क्योंकि वेतन समझौते के सहारे ही कर्मियों की पगार 1970 से अब तक 70 रुपए से 15830 रुपए तक जा पहुंचा है। वर्तमान में वेतन समझौता नहीं होने की वजह से कर्मियों को साल में कम से कम 60 हजार से अधिक का नुकसान हो रहा है। यूनियन नेता चाहते हैं कि 2017 से वेतन समझौता का पूरा लाभ मिले, वहीं प्रबंधन तब से देने को तैयार नहीं है। इस वजह से वेतन समझौता अधूरा है।

पहले समझौता में ही ग्रेच्युटी का मिला लाभ

एनजेसीएस का पहला समझौता 1970 में हुआ, जिसमें कर्मियों को ग्रेच्युटी का लाभ मिला। तब देश के किसी भी उद्योग में यह नहीं था। दो साल बाद दूसरे उद्योगों में शुरू हुआ। इसी तरह से 70 रुपए से मूल वेतन बढ़कर 200 रुपए किया गया। 1970 से स्थाई प्रकृति के काम में नियमित कर्मियों की नियुक्ति का प्रावधान रखा गया। वर्तमान में इसका वाइलेशन हो रहा है। ठेका श्रमिकों से स्थाई नेचर का काम करवा रहे हैं। इसके बाद इंक्रीमेंट, इसके साथ-साथ वेतन में इजाफा होने लगा। कर्मियों ने इससे राहत की सांस ली।

12.54 हजार कर्मियों की नजर

भिलाई इस्पात संयंत्र में काम करने वाले 12,540 कर्मचारियों के लिए सबसे अहम विषय वेतन समझौता है। महंगाई की मार का सामना कर रहे कर्मचारी हर हाल में वेतन समझौता लागू हो यह चाहते हैं। बीएसपी कर्मियों ने बताया कि वे हर यूनियन नेताओं को विभाग में प्रवेश करते साथ पहला सवाल वेतन समझौता का कर रहे हैं। सभी अपना अपना तर्क दे रहे हैं।

संयुक्त यूनियन पूछ रही सवाल

संयुक्त यूनियन की ओर से सीटू के महासचिव जेपी त्रिवेदी ने पूछा कि बीएसपी से वर्तमान में रिटायर्ड होने वाले कर्मचारियों को ग्रेच्युटी सीलिंग हो जाने से 10 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। यह देन भारतीय जनता पार्टी सरकार की है, इस नुकसान को रोकने सांसद रहते हुए विजय बघेल ने क्या किया।

हर कर्मचारी के खाते में आता 1.5 लाख एरियर का

भिलाई इस्पात संयंत्र के हर कर्मचारी को 1.5 लाख रुपए 39 माह के एरियर का मिलना है। केंद्र सरकार ने रोक रखा है। क्या किया सांसद विजय बघेल ने, जो स्टील स्टेंडिंग कमेटी के सदस्य हैं। वहां केवल मेज थपथपाते रहे।

वेतन समझौता है अधूरा हर साल 60 हजार का नुकसान

बीएसपी कर्मियों का वेतन समझौता अधूरा पड़ा है। सरकार ने अड़ंगा लगा रखा है। इससे हर कर्मचारी को सालाना 60 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है। कांग्रेस के समय कभी वेतन समझौता होने के बाद रुका नहीं था। क्या किया सांसद ने इसके लिए। बीएसपी के 5 स्कूल बंद हो गए, निजी स्कूल खचाखच भरे हैं।

बीडब्ल्यूयू ने दिया जवाब

सांसद की ओर से बीडब्ल्यूयू के अध्यक्ष उज्जवल दत्ता ने जवाब में बताया कि 2014 से ग्रेच्युटी में सीलिंग लगा है। इसको लेकर एनजेसीएस में हस्ताक्षर सीटू, इंटक, एटक, एचएमएस ने किया। इस लिए ग्रेच्युटी में सीलिंग की जिम्मेदारी संयुक्त यूनियन की है।

एनजेसीएस सदस्यों में नहीं है आपसी सहमति

केंद्रीय इस्पात मंत्री ने सदन में कहा कि 39 माह का एरियर देना चाहते हैं, एनजेसीएस सदस्यों में आपसी सहमती नहीं है। इस वजह से कर्मियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

सांसद ने सदन में उठाई आवाज

सांसद विजय बघेल ने सदन में वेतन समझौता के मामले को तीन बार उठाया। इसके बाद एनजेसीएस की बैठक बुलवाई गई। वहां दो यूनियन ने हस्ताक्षर किया और दो नहीं किया। इस वजह से वेतन समझौता अधूरा है। इसके लिए सांसद कैसे जिम्मेदार हैं।

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