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Durg MIC: महापौर ने किया मेयर इन काउंसिल का गठन, 12 पार्षदों को मिली जगह, देखें नाम

दुर्ग महापौर अल्का वाघमार ने अपने शहर सरकार के केबिनेट मंत्रियों यानि मेयर इन काउंसिल (एमआईसी) के सदस्यों की घोषणा कर दी है। 12 सदस्यीय एमआईसी में उन्होंने 10 सीनियर पार्षदों को मौका दिया है।

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Durg MIC: महापौर ने किया मेयर इन काउंसिल का गठन, 12 पार्षदों को मिली जगह, देखें नाम

Durg MIC: दुर्ग महापौर अल्का वाघमार ने अपने शहर सरकार के केबिनेट मंत्रियों यानि मेयर इन काउंसिल (एमआईसी) के सदस्यों की घोषणा कर दी है। 12 सदस्यीय एमआईसी में उन्होंने 10 सीनियर पार्षदों को मौका दिया है। वहीं पहली बार जीतकर आए 2 पार्षदों को भी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। महापौर ने सबसे महत्वपूर्ण लोककर्म विभाग की जिम्मेदारी सीनियर पार्षद देवनारायण चंद्राकर को दी है।

वहीं निगम के राजस्व विभाग की कमान सीनियर पार्षद चंद्रशेखर चंद्राकर संभालेंगे। दोनों चौथी बार जीतकर सदन में पहुंचे है। जलकार्य विभाग का कमान पार्षद लीना देवांगन को सौंपा गया है। वहीं पहली बार चुनकर आए नीलेश अग्रवाल को स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

चुनाव में बंपर जीत और जिले की राजनीति में सत्ताधारी दल के कई गुट सक्रिय होने के कारण मेयर इन काउंसिल के लिए नामों के चयन में घमासान का अनुमान लगाया जा रहा था। महापौर ने सोमवार को नामों की घोषणा कर दी। महापौर की ओर से कहा गया है कि वरिष्ठता के साथ अनुभव को प्राथमिकता दिया गया है। नए चहेरों को भी मौका देकर आगे लाने का प्रयास किया गया है।

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Durg MIC: तीन घंटे मंथन के बाद नाम तय

सभापति के चुनाव के बाद करीब सप्ताहभर से लगातार एमआईसी के नामों को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। खेमों में बंटे नेताओं में सामंजस्य सबसे बड़ी चुनौती थी। इसे देखते हुए जिला अध्यक्ष ने होली की संध्या सांसद, विधायक, महापौर सहित चार नेताओं के साथ लंबी बैठक की थी। बताया जा रहा है कि इसमें तीन घंटे तक नामों पर मंथल चला। इसके बाद सामंजस्य के आधार पर नाम तय किए गए।

तीन घंटे मंथन के बाद नाम तय

सभापति के चुनाव के बाद करीब सप्ताहभर से लगातार एमआईसी के नामों को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। खेमों में बंटे नेताओं में सामंजस्य सबसे बड़ी चुनौती थी। इसे देखते हुए जिला अध्यक्ष ने होली की संध्या सांसद, विधायक, महापौर सहित चार नेताओं के साथ लंबी बैठक की थी। बताया जा रहा है कि इसमें तीन घंटे तक नामों पर मंथल चला। इसके बाद सामंजस्य के आधार पर नाम तय किए गए।