
दुर्ग . देश के एकमात्र ट्रेन हाईजेक प्रकरण में बहस की कार्यवाही में बचाव पक्ष पुलिस की लापरवाही का मुद्दा बना रही है। इस प्रकरण के मोमेरण्डम व जब्ती गवाह हेमंत पाल ने न्यायालय में कबूल किया है कि वह घटना के बाद लगातार चार दिनों तक कुम्हारी थाना जाकर पुलिस का सहयोग किया। वहीं पुलिस के दस्तावेज यह कहता है कि कार्यवाही लगातार दो माह १० दिन तक चली।
पूरी कहानी पहले गढ़ी इसके बाद सुविधा के अनुसार लिखा पढ़ी
बचाव पक्ष का अधिवक्ता ने गवाह के कथन और पुलिस की कार्यवाही पर बहस की। अधिवक्ता ने कहा कि मुख्य गवाह का कथन है कि वह लगातार चार दिनों तक ही कुम्हारी गया था। इसके बाद वह दोबारा थाना नहीं किया, लेकिन पुलिस के अभियोग पत्र में शामिल दस्तावेज पर गवाह का हस्ताक्षर ७ फरवरी २०१३ से २० अप्रैल २०१३ के बीच का है। इससे माना जाए कि पुलिस ने पूरी कहानी पहले गढ़ी इसके बाद अपनी सुविधा के अनुसार लिखा पढ़ी की।
तीन प्रकरण के तीन विवेचना अधिकारी
खास बात यह है कि ट्रेन हाईजेक करने का प्रकरण जीआरपी ने दर्जकर जांच शुरू की थी। इसके बाद कुम्हारी पुलिस ने लूट व डकैती के अलावा पुलिस अभिरक्षा से आरोपियों को भगाने की धारा के तहत दो अपराध दर्जकर जांच शुरू की। बाद में इस मामले में मुख्य विवेचना के आर सिन्हा ने किया।
छह फरवरी २०१३ को किया था ट्रेन हाईजेक
बिलासपुर जेल से गैंगस्टर उपेन्द्र सिंह उर्फ कबरा को गवाही सुनवाई में दुर्ग जिला न्यायालय लाया गया था। उपेन्द्र पुलिस की अभिरक्षा में था। उपेन्द्र को छुड़ाने के लिए गैंगस्टर के पुत्र प्रीतम ने योजना तैयार कर दुर्ग-रायगढ़ चलने वाली जनशताब्दी एक्सप्रेस को हाईजेक किया। ट्रेन को हाईजेक करने के बाद आरोपी कुम्हारी के निकट उपेन्द्र सिंह उर्फ कबरा को पुलिस अभिरक्षा से छुड़ाकर भगा ले गए। इस दौरान आरोपियों ने एक लाल रंग की आई टेन कार की लूट की।
बहस कार्यवाही ३१ मार्च को
प्रकरण की सुनवाई न्यायाधीश मंसूर अहमद के अदालत में चल रही है। इस प्रकरण में अंतिम बहस ३१ मार्च को होना है। बचाव पक्ष के बहस के बाद विशेष लोक अभियोजक बहस का जवाब प्रस्तुत करेंगे इसके बाद दोनो पक्ष अंतिम तर्क प्रस्तुत करेंगे।
Published on:
24 Mar 2018 10:54 pm
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