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Hemchand Yadav University: अनोखा मामला.. पहले थे फेल, अब पुनर्मूल्यांकन में 26 विद्यार्थी हो गए पास…

Hemchand Yadav University: इस एक परीक्षा में ही 205 विद्यार्थियों की जांच में पहले लापरवाही बरती गई थी। इसका खुलासा पुनर्मूल्यांकन ही कर रही है।

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भिलाई

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Aug 22, 2024

Hemchand Yadav University: bhiai news cg news chhattisgarhnews

Hemchand Yadav University: दुर्ग स्थित हेमचंद यादव विश्वविद्यालय का मूल्यांकन सिस्टम को लेकर एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। पूरा मामला यह कि सैकड़ों विद्यार्थियों को प्रथम मूल्यांकन में मिले अंक पुनर्मूल्यांकन में 20 से 30 फीसदी तक अचानक बढ़ गए हैं। अकेले बीएससी फाइनल ईयर में ही पुनर्मूल्यांकन से अंकों में बड़ा बदलाव आया है। दोबारा हुई जांच में 26 विद्यार्थी जो पहले फेल थे, वे सभी पास हो गए।

इसी तरह पहले फेल और पुनर्मूल्यांकन के बाद एक विषय में पूरक आने वालों का आंकड़ा 78 पहुंच गया है। इन आंकड़ों में 212 छात्र ऐसे हैं, जिनको पहले सप्लीमेंट्री दी गई, पर पुनर्मूल्यांकन के नतीजे आए तो अंकों का गणित बदल गया। 212 छात्र पास हो गए। इस एक परीक्षा में ही 205 विद्यार्थियों की जांच में पहले लापरवाही बरती गई थी। इसका खुलासा पुनर्मूल्यांकन ही कर रही है। दरअसलन, 205 छात्र ऐसे हैं, जिनकी उत्तरपुस्तिका दोबारा जांचने से अंकों में 20 फीसदी का वेरीएशन आया है। बीएससी के अलावा अन्य विषयों में भी ऐसे ही रिजल्ट चर्चा का विषय बने हुए हैं।

Hemchand Yadav University: क्या पहले गलत जांची कॉपियां?

हर प्रोफेसर का उत्तरपुस्तिका जांचने का तरीका अलग होता है। कोई एक उत्तर के लिए 5 अंक दे सकता है तो कोई उसी के 7 अंक भी देता है। दस फीसदी का अंतर सामान्य है। इस केस में विद्यार्थियों के अंक 20 से 30 फीसदी तक बढ़ गए हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या प्रथम मूल्यांकन में ही उत्तरपुस्तिका की जांच गलत तरीके से या लापरवाही से की गई? ऐसे नहीं है कि पुनर्मूल्यांकन के बाद विद्यार्थियों के अंक सिर्फ बढ़े हैं, सैकड़ों के अंक घटे भी हैं।

Hemchand Yadav University: इनसे जंचवाई गई उत्तरपुस्तिका

दुर्ग संभाग के रिटायर्ड प्रोफेसरों ने बताया कि हेमचंद यादव विवि जांच के लिए उत्तरपुस्तिका देने की स्थिति में गुणवत्ता को तरजीह नहीं दी जा रही। निजी कॉलेजों के परिनियम-28 वाले शिक्षकों से लेकर जनभागीदारी मद से कार्य कर रहे शिक्षकों से भी कॉपी जांच कराई गई। नियम है कि एक विषय में अधिकतम 50 हजार रुपए तक के मूल्यांकन कार्य किए जा सकते हैं। ऐसे में निजी कॉलेजों के शिक्षकों ने धड़ल्ले से उत्तरपुस्तिका जांचीं।

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