
भोरमदेव टाइगर रिजर्व पर हाईकोर्ट ने मांगा छत्तीसगढ़ सरकार से 4 सप्ताह में जवाब, जनहित याचिक पर हुई सुनवाई
भिलाई. दुर्ग संभाग के कवर्धा जिले में स्थित भोरमदेव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। कवर्धा के भोरमदेव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने दायर की गई रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की जनहित याचिक पर मंगलवार को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता सिंघवी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एनटीसीए के द्वारा वर्ष 2014 में टाइगर रिजर्व की अनुशंसा की गई थी। जिस पर वन संरक्षक ने भी सहमति दी थी। इसके बाद भी राज्य शासन ने वर्ष 2018 में भोरमदेव को टाइगर रिजर्व घोषित करने के प्रस्ताव को रद्द कर दिया।
प्रस्ताव कर दिया निरस्त
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, सदस्य सचिव, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण सहित अन्य को नोटिस जारी किया था। रायपुर में रहने वाले नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई है। जिसमें बताया है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण यानी एनटीसीए ने 28 जुलाई 2014 को भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने की अनुशंसा की थी। राज्य वन्यजीव संरक्षण बोर्ड ने भी 14 नवंबर2017 को इस पर अपनी सहमति जता दी थी, लेकिन राज्य शासन ने 9 अप्रैल 2018 को इस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया।
है महत्वपूर्ण बाघ कॉरिडोर
वन्यजीव प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 38 वी के अनुसार एनटीसीए की अनुशंसा मानना राज्य के लिए अनिवार्य है। भोरमदेव अभ्यारण्य का क्षेत्र अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान कान्हा नेशनल पार्क का महत्वपूर्ण बफर जोन में शामिल होने के साथ पूरी तरह सुरक्षित था, इस वजह से बाघों की आवाजाही इस क्षेत्र में होती रही है। साथ ही यह क्षेत्र इंद्रावती टाइगर रिजर्व, महाराष्ट्र के नवेगांव-नागझीरा और तडोबा-अंधेरी टाइगर रिजर्व तथा कान्हा से अचानकमार टाइगर रिजर्व आने-जाने के लिए बाघों का महत्वपूर्ण कॉरिडोर है।
किया था नोटिस जारी
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वर्ष 2001 में भोरमदेव अभ्यारण्य बनाया गया। वन्यजीवों की आवाजाही को देखते हुए वर्ष 2007 में इसका क्षेत्रफल बढ़ा दिया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रस्ताव को रद्द करने के कारण उन्होंने 1 जुन 2018 को एनटीसीए को जरूरी कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था, इसके बाद एनटीसीए ने 7 जून 2018 को मुख्य वन्यजीव संरक्षक को नियमों के तहत कार्रवाई करते हुए भोरमदेव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, सदस्य सचिव, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण सहित अन्य को नोटिस जारी किया था।
Published on:
03 Feb 2021 05:02 pm
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