
बीएसपी में उत्पादन के रोज बन रहे नए रिकॉर्ड
भिलाई। Chhattisgarh News: भिलाई इस्पात संयंत्र कर्मियों के हाथ से एक-एक कर सुविधाएं फिसलती जा रही है। श्रमिक नेता वर्चस्व की लड़ाई में कर्मियों के हितों को नजरअंदाज कर रहे हैं। वहीं अधिकारियों में कर्मियों की अपेक्षा एकजुटता कहीं अधिक नजर आती है। यही वजह है कि सेल कॉरपोरेट ऑफिस में बैठे अधिकारियों से लेकर बीएसपी के आला अधिकारी तक सभी ने अपने हिस्से में कटौती को आने नहीं दिया। कर्मियों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह की सुविधाओं पर इसकी मार पड़ी है। वहीं अधिकारियों की सुविधाओं में कोई खास अंतर नजर नहीं आ रहा है।
स्कूलों में नहीं हो रही नई भर्ती
बीएसपी कर्मचारियों के बच्चों को पहले बेहतर शिक्षा बीएसपी स्कूलों में मिल जाती थी। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की तादात भी अधिक होती थी। अब पुराने शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं और नई भर्ती प्रबंधन ने बंद कर रखी है। इससे स्कूलों में पढ़ाई का स्तर धीरे-धीरे गिरता चला जा रहा है। मजबूरी में बीएसपी कर्मचारी भी अपने बच्चों को निजी और महंगे स्कूलों में पढ़ने के लिए भेज रहे हैं। लगातार स्कूल भी बंद हो रहे हैं।
सेक्टर-9 अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी
जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र, सेक्टर-9 के स्ट्रक्चर को प्रबंधन पहले से बेहतर करते जा रहा है। यहां कमी चिकित्सकों की है। हृदय रोग विशेषज्ञ दस्तावेजों में हैं, लेकिन हकीकत में नहीं। इसी तरह से न्यूरो सर्जन की भी जरूरत है। कर्मियों और उनके परिवार को बेहतर उपचार के लिए अन्य प्रदेश जाना पड़ता है। सप्ताह में कुछ दिन निजी हॉस्पिटल के चिकित्सक आते हैं और इसके बाद मरीज भगवान भरोसे रहते हैं। अस्पताल रेफरल सेंटर बन कर रह गया है।
संयंत्र कर्मियों में सेल प्रबंधन के प्रति बढ़ रहा है आक्रोश
सेल प्रबंधन ने वेज रिवीजन, ग्रेच्युटी सीलिंग, बोनस जैसे विषय पर की गई मनमानी के खिलाफ भिलाई की संयुक्त यूनियन अभियान चला रही है। मंगलवार को वायर राड मिल व मर्चेंट मिल के नियमित कर्मचारी व ठेका श्रमिकों से संवाद किए। इंटक,सीटू, एचएमएस,एटक, एक्टू, लोईमू, इस्पात श्रमिक मंच व स्टील वर्कर्स यूनियन ने संयुक्त रूप से बीएसपी के कर्मियों को सेल प्रबंधन की मनमानी की जानकारी देकर, उनसे राय ली। संयुक्त यूनियन ने वायर राड मिल व मर्चेंट मिल के कुछ ठेका श्रमिकों से चर्चा की। ठेका श्रमिकों ने बताया कि उन्हें अभी तक बोनस नहीं मिला है। कुछ ठेका श्रमिकों ने बताया कि उन्हें पिछले साल 320 रुपए दैनिक वेतन प्राप्त होता था। नए ठेकेदार ने रेट कम कर 295 रुपए दैनिक वेतन दे रहा है। शिकायत अधिकारियों से करने पर अधिकारी कहते हैं कि इसी रेट पर कार्य करना होगा, नहीं तो काम छोड़कर जाओ।
यहां भी वसूल रहे कर्मियों से पैसे
युवा कर्मचारियों का कहना है कि ईएफबीएस से लेकर मेडिक्लेम तक में कर्मियों से पैसा लिया जा रहा है। इसके लिए एनजेसीएस यूनियन के नेता जिम्मेदार हैं। वे नई सुविधा दिला तो नहीं रहे हैं, बल्कि पुरानी सुविधाओं में भी कटौती करवाते जा रहे हैं। युवा कर्मियों का कहना है कि सेल के बड़े अधिकारी सेल कॉरपोरेट कार्यालय में अपने लिए स्पेशल कैंटीन बनाए हुए है। इसका रेट भी दिल्ली जैसे शहरों के मुकाबले काफी कम है।
Published on:
29 Nov 2023 05:06 pm
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