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Bhilai News: फोर्ब्स मैगजीन के कवर पेज पर छाई भिलाई की रिमझिम, स्कूलिंग से 62 करोड़ की फंडिंग का सफर

Bhilai News: गूगल मैप में सडक़ों का नक्शा दिखता है, वैसे ही रिमझिम की यह तकनीक दिमाग के अलग-अलग हिस्सों को दिखाती है कि कौन-सा हिस्सा कितना सक्रिय है और कौन-सा हिस्सा दूसरों से कैसे जुड़ा हुआ है या काम नहीं कर रहा।

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भिलाई

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Love Sonkar

Oct 07, 2025

Bhilai News: फोर्ब्स मैगजीन के कवर पेज पर छाई भिलाई की रिमझिम अग्रवाल , स्कूलिंग से 62 करोड़ की फंडिंग का सफर

फोर्ब्स मैगजीन के कवर पेज पर छाई भिलाई की रिमझिम अग्रवाल (Photo Patrika)

Bhilai News: शहर की बेटी रिमझिम अग्रवाल को प्रतिष्ठित मैगजीन फोर्ब्स इंडिया ने अपने कवर पेज पर जगह दी है। यह मुकाम रिमझिम को उनके अनोखे स्टार्टअप ब्रेनसाइट एआई की वजह से मिला है। इस कंपनी ने एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम बनाया है जो दिमाग की गहराई से जानकारी देता है।

ब्रेनसाइट का मुख्य सॉफ्टवेयर ‘वॉक्सेल बॉक्स’ डॉक्टरों को मरीज के दिमाग का नक्शा दिखाता है। जैसे गूगल मैप में सडक़ों का नक्शा दिखता है, वैसे ही रिमझिम की यह तकनीक दिमाग के अलग-अलग हिस्सों को दिखाती है कि कौन-सा हिस्सा कितना सक्रिय है और कौन-सा हिस्सा दूसरों से कैसे जुड़ा हुआ है या काम नहीं कर रहा।

यह सॉफ्टवेयर अस्पतालों में एमआईआर मशीन के साथ इंटीग्रेट किया जाता है, जो दिमाग की बनावट या उसमें आई समस्या को सीटी स्कैन और एमआरआई से अधिक डिटेल के साथ बताता है। अभी तक 1500 से अधिक सर्जरी में इस तकनीक के इस्तेमाल से डॉक्टरों ने बेहतर रिजल्ट दिए हैं।

क्या है 4डी टेक्नोलॉजी

इस तकनीक में एमआरआई के बाद बनने वाली इमेजेस को और बेहतर समझाने के लिए 4डी तकनीक का उपयोग किया जाता है। 4डी प्रोसेसिंग से सॉटवेयर अलग-अलग क्षेत्रों को रंगों में दिखाता है। जैसे, लाल, पीला, नीला आदि। इससे डॉक्टर्स देख पाते हैं कि, कोई ट्यूमर, घाव, नर्व नेटवर्क कहां है। इससे वे सर्जरी के दौरान सेंसेटिव हिस्सों को नुकसान पहुंचाए बिना ऑपरेशन कर सकते हैं। 4डी तकनीक दिखाती है कि दिमाग का कौन सा हिस्सा कब और कितने देर एक्टिव हुआ।

कैसे काम करती है तकनीक

  • सिग्नल प्रोसेसिंग दिमाग के 86 अरब न्यूरॉन्स नेटवर्क बनाते हैं, जिनको सॉफ्टवेयर के जरिए प्रोसेस किया जाता है।

-यह एआई बेस्ड टेक्नोलॉजी दिमाग की 4डी इमेज तैयार करती है।

-इन जटिल गणनाओं को ऐसे चित्रों में बदलता है, जिनसे सर्जन आसानी अपनी सर्जरी की रणनीति बना लेता है।

-यह सॉफ्टवेयर उन दिमाग के उन कनेक्शन की गड़बडिय़ों को पहचानने में मदद करता है जो मानसिक रोगों की जड़ में होती हैं।

अब आगे क्या

रिमझिम की शिक्षा और रिसर्च दोनों ही इसी क्षेत्र में है। अब तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई सिर्फ बाहरी प्रतिक्रियाओं पर केंद्रित था। मगर, अब हम यह देखना चाहते हैं कि दिमाग के अंदर वास्तव में क्या हो रहा है। यही मानसिक स्वास्थ्य की समझ को नए युग में ले जाएगा।

अपने स्टार्टअप ब्रेनसाइट एआई से चर्चा में आईं

रिमझिम अग्रवाल ने भिलाई से ही स्कूलिंग पूरी की है। इसके बाद उन्होंने पुणे से एम-टेक किया। - एआई और मशीन लर्निंग को मानसिक स्वास्थ्य पर शोध।

रिमझिम ब्रेनसाइट एआई स्टार्टअप में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर यानी सीटीओ के पद पर हैं।

उनके स्टार्टअप को इन्वेस्टर एंटरप्रेन्योर फर्स्ट से 45 लाख, स्टैंडफोर्ड एंजल्स, रेडस्टार्ट लैब्स और आईकेपी से 6 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली।

हाल ही में 55 करोड़ रुपए और मिले। उनके इस स्टार्टअप में 50 कर्मचारी कार्यरत हैं।