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यहां पर श्रीमद्भागवत कथा स्लाटर हाउस हटाने के लिए सुनाई जा रही है

आयोजन समिति के बृजमोहन उपाध्याय का कहना है कि आवासीय क्षेत्र में स्लाटर का हर किसी को विरोध करना चाहिए। शहर के बीच में स्लाटर हाउस जन स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है।

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Bhilai patrika

यहां पर श्रीमद्भागवत कथा स्लाटर हाउस हटाने के लिए सुनाई जा रही है

भिलाई. श्रीमद्भागवतगीता ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दूसरे दिन गुरुवार को श्रीव्यास विद्यापीठ केदारघाट वाराणसी के कथावाचक दुर्गेश शर्मा ने राजा परीक्षित के जन्म की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि झूठ,मद, काम, हिंसा और बैर में भी कलयुग का प्रभाव रहता है। जब राजा परीक्षित भी कलयुग के वश में आ गए थे। इस वजह से उन्होंने साधु की तपस्या को भंग करने का प्रयास किया। श्राप के कारण उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन श्रीमद्भागवत गीता सुनकर वह श्राप से मुक्त हो गया। ठीक उसी तरह का प्रभाव आम लोगों पर है। कलयुग के प्रभाव में आकर जहां जिस कार्य को नहीं करना चाहिए, वह कार्य करने के लिए तत्पर रहते हैं। उनका कहने का आशय यह था कि स्लाटर हाउस शहर से बाहर होना चाहिए। कितुं यहां पर शासन ने आवासीय क्षेत्र में स्लाटर हाउस को आधुनिक बनाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के विरोध में आस-पास के लोगों द्वारा भागवत कथा का आयोजन किया है। चौपाए पशुओं की हत्या का पाप और असर आस-पास के रहवासी पर लगेगा।

शहर के बीच में स्लाटर हाउस जन स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह

आयोजन समिति के बृजमोहन उपाध्याय का कहना है कि आवासीय क्षेत्र में स्लाटर का हर किसी को विरोध करना चाहिए। शहर के बीच में स्लाटर हाउस जन स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। वरिष्ठ नागरिक जन कल्याण समिति राधिका नगर की ओर से आयोजित इस कथा सप्ताह में सुधाकर फुलमाली, उपाध्यक्ष उमेश कुमार तिवारी, महासचिव शिवाजी सिंह, कोषाध्यक्ष रामनाम फाटे, सचिव बलबीर सहगल सहयोग कर रहे हैं।

राजा परीक्षित कलयुग के प्रभाव में आए

राजा परीक्षित की कथा को विस्तार करते हुए कथावाचक ने कहा कि जब राजा परीक्षित कलयुग के प्रभाव में आए और हिरण को ढूंढने जंगल की ओर गए, तब हिरण नहीं मिला तो राजा ने एक तपस्वी साधु से हिरण के बारे में पूछा। साधु मौनी था वह कुछ बोला नहीं, जिसे राजा ने अपना अपमान समझा। साधु पर गुस्सा हो गए। एक मरा हुआ सर्प को साधु के गले में डाल दिया। इस घटना से नाराज तपस्वी साधु के पुत्र ने राजा परीक्षित को श्राप दे दिया कि उसे भी सर्प काट ले और उसकी मृत्यु हो जाए। तक्षक नाग ने आकर उसे डस लिया और विष की भयंकर ज्वाला से उनका शरीर भस्म हो गया। कहते हैं कि तक्षक जब परीक्षित को डसने चला तब मार्ग में उसे कश्यप ऋषि मिले। पूछने पर मालूम हुआ कि वे उसके विष से परीक्षित की रक्षा करने जा रहे हैं। तक्षक ने एक वृक्ष पर दांत मारा, वह तत्काल जलकर भस्म हो गया।

हर जीव सीधे मोक्ष को प्राप्त कर सकता है

कश्यप ने अपनी विद्या से फिर उसे हरा दिया। इस पर तक्षक ने बहुत सा धन देकर उन्हें लौटा दिया। परीक्षित की मृत्यु के बाद फिर कलयुग की रोक टोक करने वाला कोई न रहा और वह उसी दिन से अकंटक भाव से शासन करने लगा। इस प्रकार महराजश्री ने कहा कि किसी भी मनुष्य को अभिमान नहीं करना चाहिए। जीवन मिला है तो मृत्यु भी निश्चित है लेकिन भगवान के भजन के साथ समय व्यवतीत किया जाए तो हर जीव सीधे मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।