
Bhilai News: जिला अस्पताल दुर्ग के मदर एंड चाइल्ड यूनिट में दो बच्चों के अदला-बदली मामले में जल्द परिणाम आने की उम्मीद है। गुरुवार को दोनों नवजात शिशुओं और दोनों के माता-पिता का रक्त डीएनए जांच के लिए लिया गया। इस तरह 6 डीएनए सैंपल जांच के लिए स्टेट फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी रायुपर भेजा गया। सैंपल लेने सिविल सर्जन डॉ. हेमंत साहू ने पैथालाजिस्ट और लैब टैक्निनिशियन की अलग टीम बनाई थी।
गौरतलब है कि शबाना और साधना ने एक ही दिन पुत्र को जन्म दिया। दोनों के बच्चों के बदल जाने को लेकर आशंका है। यह आशंका इसलिए हुआ कि जिस बच्चे को शबाना को सौंपा गया उसके हाथ में लगे टैग में साधना लिखा हुआ था। इसके बाद दोनों परिवार से अस्पताल प्रबंधन ने संपर्क किया। बातचीत से मामले का हल नहीं निकला। तब जांच कमेटी बनाई गई। जांच रिपोर्ट के आधार पर डीएनए टेस्ट करवाया जा रहा है। अब दोनों परिवार के साथ अस्पताल प्रबंधन को डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने का इंतजार हैं। वे चाहते हैं जल्द निराकरण निकले।
बच्चों का डीएनए टेस्ट करने के दौरान बच्चों के शरीर से डीएनए नमूना निकाला जाता है। डीएनए नमूना संग्रह करने के लिए लार का नमूना बच्चे के मुंह से लिया जाता है। जिसमें डीएनए होता है। ब्यूकल स्वैब बच्चे के गाल के अंदरूनी हिस्से से एक स्वैब लिया जाता है। जिसमें डीएनए होता है।
बच्चे के शरीर से रक्त का नमूना लिया जाता है। जिसमें डीएनए होता है। नमूना को प्रयोगशाला भेजा जाता है। इसका विश्लेषण किया जाता है और परिणाम प्राप्त होता है। रक्त नमूना लेने के दौरान बच्चों को थोड़ी तकलीफ होती है।
जिला अस्पताल में दोनों बच्चों को किसने उनकी माताओं को सौंपा यह स्पष्ट नहीं है। बच्चों को सौंपने की जिम्मेदारी आखिर किसकी होती है। सिविल सर्जन डॉ. हेमंत साहू के कहना है कि नवजात बच्चों को माता के हाथ सौंपने की जिम्मेदारी ओटी अटेंडेंट, ओटी टेक्नीशियन, वहां की जिम्मेदार सिस्टर की होती है। इस मामले में ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि बच्चों को इनमें से किसी नहीं सौंपा है। किसी आया के हाथ सौंपने के लिए भेजा गया। टैग में अंग्रेजी में लिखे नाम वह नहीं पढ़ सकी और बच्चा सौंप दिया।
Updated on:
07 Feb 2025 12:37 pm
Published on:
07 Feb 2025 12:36 pm
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