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भीलवाड़ा में नई पहल: 1 किलो प्लास्टिक जलाओ और एक किलो गुड़ पाओ, सार्वजनिक स्थल पर लगेंगे चौपाल

जो व्यक्ति एक किलो प्लास्टिक थैली एकत्र करके लाएगा, उसे एक किलो गुड़ दिया जाएगा। गुड़ भी इसलिए क्योंकि गुड़ ग्रामीणों का विशेष प्रिय खाद्य पदार्थ होने के साथ-साथ व्याधियों का संवाहक नहीं होकर स्वास्थ्य वर्धक होता है।

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Bhilwara

एक किलो प्लास्टिक थैली एकत्र कर जलाने पर मिलेगा एक किलो गुड़ (फोटो-एआई)

बरूंदनी (भीलवाड़ा): पर्यावरण को दूषित करने कैंसर, श्वास और पेट समेत अन्य असाध्य रोगों की संवाहक प्लास्टिक (पॉलीथिन) की थैली से मनुष्य तथा मूक मवेशियों को होने वाले खतरों से बचाने के लिए राजस्थान पत्रिका सामाजिक सरोकार के तहत बरूंदनी से शुरू होने वाली नई पहल का स्वरूप बहुउद्देशीय होगा। इसकी योजनाबद्ध तरीके से तैयारी की जा रही है।
नई पहल में अधिकाधिक व्यक्तियों, संस्थाओं, जनप्रतिनिधियों की भागीदारी होगी। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करते हुए आमजन को इससे जोड़ा जाएगा। ताकि प्लास्टिक थैली मुक्त गांव जिले में मिसाल बन सकें।


इसके तहत जो व्यक्ति एक किलो प्लास्टिक थैली एकत्र करके लाएगा उसे एक किलो गुड़ दिया जाएगा। गुड़ भी इसलिए क्योंकि गुड़ ग्रामीणों का विशेष प्रिय खाद्य पदार्थ होने के साथ-साथ व्याधियों का संवाहक नहीं होकर स्वास्थ्य वर्धक होता है।
राजस्थान पत्रिका की इस पहल को साकार करने के लिए मुख्य सहयोगी सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप जोशी ने बताया कि इस अभियान में गांव गली की स्वच्छता, ऐतिहासिक पेयजल स्रोतों का संरक्षण सफाई, अनाथ बालकों की शिक्षा आदि के कार्य भी हाथ में लिए जाएंगे।


जोशी ने बताया कि गांव, गली, मोहल्ले में फेंकी गई एक किलोग्राम प्लास्टिक की थैली को एकत्रित कर लाएंगे उन्हें एक किलो गुड़ दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त समय-समय पर ग्रामीणों की चौपाल लगाकर उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करेंगे।


ग्रामीणों को प्लास्टिक (पॉलीथिन) की थैली को कपड़े के थैले में लाना होगा। उसी कपड़े के थैले में गुड़ दिया जाएगा। पत्रिका का प्लास्टिक थैली एकत्र अभियान पर्यावरण संरक्षण में सकारात्मक भूमिका निभाएगा। इससे सामाजिक जीवन में परिवर्तन आएगा। आमजन में इससे जागरूकता आएगी।
-घनश्याम राठी, अध्यक्ष, माहेश्वरी धर्मशाला समिति सिंगोली


गांव में राजस्थान पत्रिका की पहल पर शुरू होने वाली यह पहल प्रशंसनीय है। इस पुनीत कार्य में अधिकाधिक व्यक्तियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। भामाशाहों को जोड़ कर अन्य कार्य भी किए जाए।
-शैतान सिंह शक्तावत, सेवानिवृत एएसआई


गांवों और शहरों में होटल, घरों और समारोहों में प्लास्टिक के उपकरणों का उपयोग खाद्य सामग्री को लेने में करते हैं। कई तो चाय, दूध, कॉफी तक पॉलिथिन में भर कर डिस्पोजल में पीते हैं, जो हानिकारक है।
-अमिता नारायण गेलड़ा, पर्यावरण विद


राजस्थान पत्रिका ने राष्ट्र और समाज के उत्थान के लिए कलम ही नहीं चलाई सामाजिक सरोकारों के माध्यम से नित नए आयाम स्थापित किए। सिंगोली श्याम सेवा संस्थान ऐसे अभियान में सक्रिय सहयोग करेगा।
-भवानी शंकर जोशी, अध्यक्ष, सिंगोली श्याम सेवा संस्थान