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पानी में बही विधायक-सांसद निधि, लोग रह गए प्यासे

शहर में 24 घंटे पेयजल मिले, इसके लिए सरकार ने पनघट लगाए

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Book clerk in water-MP fund in bhilwara

Book clerk in water-MP fund in bhilwara

भीलवाड़ा।

शहर में 24 घंटे पेयजल मिले, इसके लिए सरकार ने पनघट लगाए। विधायक विट्ठलशंकर अवस्थी व सांसद सुभाष बहेडि़या ने अपने कोटे का उपयोग इसमें ही ज्यादा किया। इसमें करोड़ों रुपए खर्च हुए लेकिन सब पानी में बह गए। हकीकत यह है कि शहर के अधिकांश पनघट खराब हैं। कहीं मोटर खराब है तो कहीं बिजली कनेक्शन ही नहीं है। एेसे पनघट भी है जो एक साल से ज्यादा होने के बावजूद अब तक चालू नहीं हुए। लोगों को पीने के पानी के लिए जूझना पड़ रहा है। कई जगह बिल भरने का विवाद है जबकि पनघट लगाते समय ही स्पष्ट हो गया था कि बिजली के बिल जलदाय विभाग भरेगा। इसके बावजूद भी असमंजस है।

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विधायक ने दिए थे 70 लाख रुपए
विधायक अवस्थी ने करीब डेढ़ साल पहले शहर में पेयजल संकट देखते हुए 47 नलकूप की अनुशंसा की। इसमें 70 लाख रुपए खर्च हुए। यह पनघट एेसी जगह थी जहां पानी का संकट था। शुरू में यह चले इससे आमजन को राहत मिली। इसके बाद इनमें से अधिकांश बेकार हो गए।

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मई माह शुरू, कोई योजना नहीं
स्थिति यह है कि मई माह शुरू हो चुका है। इसके बावजूद जलदाय विभाग की कोई योजना नहीं है। कहने को चम्बल का पानी आने के बाद संकट खत्म हो जाने की बात कहीं जा रही है। सच्चाई यह है कि चम्बल परियोजना पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाने के बावजूद संकट के हालात खत्म नहीं हुए है। शहर के साथ ही गांवों में पेयजल संकट है। इसके बावजूद भी विभाग ने कौनसा कंटीजेंसी प्लान बनाया, यह किसी को पता नहीं है। अभी से गांवों में टैंकर की जरुरत है लेकिन कोई योजना तैयार नहीं हुई।


अधिकांश जगह सामग्री चोरी
शहर के पनघट की देखरेख का जिम्मा नहीं देने से अधिकांश जगह सामग्री चोरी हो गई है। विभाग को चाहिए कि हर मोहल्ले में एक समिति बनाकर उनको देखभाल का जिम्मा सौंपे। यदि एेसा होगा तो पानी की बर्बादी भी नहीं होगी और उसका रख-रखाव भी हो सकेगा। विभाग को इन कामों के लिए फुर्सत नहीं है।


यह बानगी लापरवाही के लिए काफी
शास्त्रीनगर की न्यू हाउसिंग बोर्ड डी सेक्टर में एक साल पहले पनघट स्थापित किया गया। बकायदा टंकी लगाकर नल लगाए। निकट ही नलकूप से उसे जोडऩा था, लेकिन टंकी और नल लगाकर इतिश्री कर ली। आज तक टंकी में पानी भर ही नहीं पाया। इससे पनघट पर किए गए खर्च बेकार गया।


पनघट योजना दुर्दशा की शिकार
पुर. यहां नगर परिषद की पनघट योजना के तहत लगाई टंकियों की दुर्दशा हो रही है। कहीं टंकियां ही लोग ले गए तो कहीं टोंटिया नहीं है। टंकियों की शुद्धता व सफाई का ध्यान देने वाला भी कोई नहीं है। रख-रखाव के अभाव में कई टंकियां टूट चुकी है तथा कई जगह टंकियां खाली पड़ी है।