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सुहागिनों का सबसे बड़ा त्योहार करवा चौथ आज

दिन भर उपवास, चंद्रदर्शन रहेगा खास

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Karva Chauth, the biggest festival of married women, is today.

Karva Chauth, the biggest festival of married women, is today.

सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा त्योहार करवाचौथ शुक्रवार को पारम्परिक श्रद्धा भक्ति, उल्लास से मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जल रहकर व्रत करेंगी और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलेंगी। इसके लिए महिलाएं अभी से तैयारियों में जुट गई हैं। आजाद चौक में महिलाओं ने मेहंदी लगवाने के लिए स्थान आरक्षित कराया है। यहां दिन भर महिलाएं मेहंदी लगवाने में जुटी रहीं।

गुलजार होने लगे बाजार

करवाचौथ को लेकर बाजार गुलजार होने लगे हैं। महिलाएं बड़ी संख्या में बाजारों में पहुंचकर खरीदारी कर रही हैं। इसके अलावा ब्यूटी पार्लर, गिफ्ट काॅर्नर, सर्राफा बाजार, कॉस्मेटिक शॉप और कपड़ा मार्केट के अलावा करवा और पूजा की सामग्री की दुकानों पर रौनक छाई रही।

इस दिन सुहागिनें माता पार्वती सहित पूरे शिव परिवार की आराधना करती हैं। करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है। चंद्रोदय के पश्चात ही रात्रि के समय करवा चौथ का व्रत तोड़ा जाता है। व्रती महिलाएं पहले चन्द्रमा को जल अर्पित करती हैं। तत्पश्चात चलनी से चन्द्रमा के साथ अपने पति का चेहरा निहारती हैं।

सुबह 6 बजे से पहले महिलाएं कर सकती हैं सहगार

परंपरा के अनुसार करवा चौथ व्रत में सूर्योदय से करीब 2 घंटे पहले तक सहकार कर सकते हैं। 10 अक्टूबर को करवा चौथ वाले दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर होगा। इससे पहले ही सुहागिनें सरगी खा लें। इसके बाद महिलाओं को व्रत रखना होगा। करवा चौथ व्रत निर्जला रखा जाता है। ऐसे में घर की बड़ी महिलाएं आशीर्वाद के तौर पर व्रत शुरू करने से पहले सेहतमंद भोजन करवाती हैं, ताकि व्रत के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी न हो।

कब है करवा चौथ

पंडित अशोक व्यास के अनुसार करवा चौथ का व्रत दस अक्टूबर को रखा जाएगा। चतुर्थी तिथि का आगमन नौ अक्टूबर गुरुवार की रात 10.55 बजे हो रहा है जो 10 अक्टूबर शुक्रवार की रात 7.39 बजे तक रहेगा। इस व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है।

चलनी से पति को निहारती हैं पत्नी

इस व्रत के अंत में महिलाएं चन्द्रमा और अपने पति का प्रत्यक्ष दर्शन न कर चलनी से दर्शन करती हैं। चलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चांद के दर्शन करने से छेदों की संख्या जितनी प्रतिबिंब दिखते हैं। अब चलनी से पति को देखते है तो पति की आयु भी उतनी गुना बढ़ जाती है। चलनी के प्रयोग बिना करवा चौथ अधूरा माना जाता है।

ये रहेगा पूजा का मुहूर्त

  • पूजा का समय 10 अक्टूबर शाम 4.44 बजे से 6.11 बजे तक।
  • रात्रि चंद्रोदय 8.37 के उपरांत रात्रि
  • पूजन का समय 9.09 से 9.42 बजे तक