
Liquidity crisis banks in bhilwara
भीलवाड़ा।
मुख्यमंत्री ने किसानों को फसली ऋण माफी की घोषणा करने के साथ ही बैंकों में तरलता का संकट खड़ा हो गया है। बैंकों में अब कोई ऋण जमा नहीं करा रहा है। ऋण माफी को लेकर गत दिनों राज्य स्तरीय बैठक में भी करीब ५ हजार करोड़ रुपए ऋण माफी के बदले मांगे गए थे, लेकिन वित्त विभाग ने मात्र दो हजार करोड़ रुपए ही सहकारी बैंकों को उपलब्ध कराने की सहमति दी।
इससे बैंकों के सामने एक नया संकट खड़ा हो सकता है। अब अगली फसल के ऋण वितरण करना भी मुश्किल होगा। राज्य स्तरीय बैठक में यह बात सामने आई है कि ऋण माफी के बाद वसूली पूरी तरह रुक गई है। सहकारी बैंकों को गत वर्ष नाबार्ड से प्राप्त रिफाइनेन्स के विरूद्ध 2018-19 में 5865करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया जाना है। जबकि राज्य सरकार से आठ हजार करोड से अधिक की ऋण माफी के बदले दो हजार करोड़ की सैद्धान्तिक सहमति र्दी जो मात्र 25 प्रतिशत है।
माफी के अनुसार दो हैक्टेयर तक के किसानों का 50 हजार रुपए तक कर्ज माफ होगा। इसमें खेत का आकार जितना बड़ा होगा, कर्ज माफी की रकम उतनी ही छोटी होती जाएगी। जैसे किसी किसान का खेत 3 हैक्टेयर का है तो उसका 33 हजार रुपए तक का ऋण माफ होगा। किसी का खेत 5 हैक्टेयर का है तो 20 हजार रुपए तक तथा 10 हैक्टेयर है तो 10 हजार रुपए तक ऋण माफ होगा। प्रदेश के कई किसानों के पास जोत का आकार तो बड़ा है लेकिन उसमें प्रति हैक्टेयर फसल उत्पादन कम होता है।
छुट्टी के दिन भी बुलाई बैठक
बनेड़ा. पंचायत समिति में सीईओ गजेंद्र सिंह राठौड़ की अध्यक्षता में सरपंच व सचिव की समीक्षा बैठक हुई। जिसमें ग्राम पंचायतों के सरपंच व राठौड़ ने प्रत्येक ग्राम पंचायत में श्रमिकों का नियोजन करने के लिए पाबंद किया एवं नरेगा कार्य व सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से आमजनों को लाभ पहुंचाने के लिए कहां सीईओ गजेंद्र सिंह ने प्रत्येक ग्राम पंचायत को नरेगा द्वारा एक हजार श्रमिक लगाने के लिए पाबंद किया ।
Published on:
27 May 2018 02:30 pm
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