
Order making trouble in bhilwara
भीलवाड़ा।
गोशालाओं में पल रहे पशुओं में भी अब सरकार यह देखेगी कि वह किसका है। यदि वह लघु एवं सीमांत काश्तकार की ओर से छोड़ा गया होगा तो ही उसका अनुदान गोशाला प्रबंधन को मिलेगा। यदि किसी पशु के बारे में प्रबंधन को यह जानकारी नहीं होगी कि इसका पहले मालिक कौन था तो इसका अनुदान नहीं दिया जाएगा। आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग का यह अजीब आदेश अब गोशाला संचालकों के लिए मुसीबत बन गया है। इसकी वजह से वे सरकारी मदद नहीं ले पा रहे हैं।
विभाग का आदेश है कि जिले की समस्त गोशालाओं को पशु शिविर के रूप में संचालित किया जाएगा। इस पर जिले की 42 गोशालाओं को इसके दायरे में ले लिया है। इसमें 16 नवंबर 2017 या आवेदन की तिथि में जितने पशु होंगे, उस हिसाब से अनुदान दिया जाना है।
सरकार ने इसके लिए 70 रुपए प्रति बड़े पशु व 35 रुपए प्रति छोटे पशु के हिसाब से अनुदान देना तय किया है। इसमें यह शर्त डाल दी है कि पशु लघु एवं सीमांत काश्तकार का ही होना चाहिए। अब परेशानी यह है कि गोशालाओं में अधिकांश आवारा पशु आते हैं। उनका कोई धणी-धोरी नहीं होता। एेसी स्थिति में उनका अनुदान कैसे लिया जाए, यह परेशानी बन गई है।
639 गांवों में है अकाल
इस बार जिले के 639 गांवों में अकाल घोषित किया है। इसमें शाहपुरा के 102, फुलियाकलां के 64, मांडलगढ़ के 87, कोटड़ी के 140, जहाजपुर के 246 गांव अभावग्रस्त घोषित किए गए है। इन गांवों में राहत गतिविधियां शुरू की गई है। इन गांवों के काश्तकारों को मुआवजा भी दिया गया है।
जल व्यवस्था जरूरी
जिले के 25 फीसदी से अधिक राजस्व गांवों में अकाल होने के कारण पूरे जिले में पेयजल की व्यवस्था अब प्रशासन को करनी होगी। इसके लिए सरकार ने इस बार जलदाय विभाग को जिम्मेदारी दी है। विभाग की ओर से जिले में पेयजल संकट होने पर टैंकर चलाए जाएंगे।
Published on:
03 May 2018 03:55 pm
बड़ी खबरें
View Allभीलवाड़ा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
