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नारेबाजी कर किया प्रदर्शन

राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम) ने संस्कृत शिक्षा विभाग के सेवा नियमों में संशोधन को लेकर सोमवार को कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया

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Protesting performed in bhilwara

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भीलवाड़ा।

राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम) ने संस्कृत शिक्षा विभाग के सेवा नियमों में संशोधन को लेकर सोमवार को कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। एडीएम प्रशासन एलआर गुगरवाल को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। संघर्ष समिति के जिला संयोजक एवं जिलाध्यक्ष राजेंद्रकुमार शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा संस्कृत से भिन्न विषयों के शिक्षकों के हितों को ध्यान में रखते हुए पदोन्नति के लिए अलग से कैडर तैयार करने सहित सात सूत्रीय मांगों को लेकर प्रांतव्यापी आंदोलन चलाया जा रहा है।

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इसके तहत प्रदेश महामंत्री वीरेंद्र शर्मा और प्रदेश संघर्ष समिति के सदस्य डॉ. केजी जांगिड़ के नेतृत्व में शिक्षकों व संस्कृत प्रेमियों ने ज्ञापन से पहले प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदेश महामंत्री माध्यमिक शिक्षा प्रेमशंकर जोशी, मुकेशकुमार शर्मा, गणपति प्रसाद व्यास, प्रदेश महिला मंत्री सुमनलता, जिला मंत्री सुमित मुरारी, जिला महिला मंत्री भारती झा, वीणा शर्मा, नीलम सिन्हा, कुसुम तिवारी व सत्यनारायण खटीक सहित कई प्रमुख पदाधिकारी मौजूद थे। सचिव रमेशचन्द्र जोशी ने बताया कि सरकार ने मांगे नहीं मानी तो 16 मई से जयपुर में शिक्षा संकुल पर क्रमिक अनशन शुरू किया जाएगा।

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आइआइटी कानपुर ने बनाया कृत्रिम लिवर
कानपुर. आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों ने कृत्रिम लिवर बनाने में सफलता प्राप्त की है। इसका अंतरराष्ट्रीय पेटेंट भी कराया है।
जापान के वैज्ञानिकों, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलरी साइंसेज दिल्ली और बायोटेक्नोलॉजी विभाग के साथ आइआइटी ने आर्टिफिशियल बायो लिवर बनाया है। इसका जानवरों के साथ मनुष्यों पर भी प्रयोग कर चुके हैं, जिनके परिमाण सकारात्मक आए हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि लिवर पूरी तरह खराब होने की स्थिति में कृत्रिम लिवर तीन-चार महीने काम कर सकता है। इसके बाद लिवर ट्रांसप्लांट कराना पड़ेगा।

मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत
लिवर सिरोसिस से जूझ रहे मरीजों के लिए यह खोज काफी मददगार है। अन्य कृत्रिम लिवर की तरह इसके लिवर सेल मरते नहीं हैं। विशेषज्ञों ने चूहों औरपर इसका सफल परीक्षण किया है। 200 मरीजों के खून में प्रयोग में भी सकारात्मक परिणाम आए हैं। इस बायो आर्टिफिशियल लिवर इंस्टॉल करने से पहले लैब में उसके अंदर सेल्स प्रौलिफिरेट कराया जाता है। इससे रोगी के शरीर में बेहतर परिणाम आते हैं।