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राजस्थान का अनोखा मंदिर: यहां मन्नत पूरी होने पर छोड़े जाते हैं मुर्गे, लकवाग्रस्त रोगियों का भी आस्था से जुड़ाव

बिजौलियां के विंध्यवासिनी माता मंदिर में नवरात्र पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। लकवाग्रस्त रोगी यहां महीनों रुककर आरती और परिक्रमा करते हैं। मन्नत पूरी होने पर मुर्गा चढ़ाते हैं। इस बार 200 से अधिक रोगी और सैकड़ों मुर्गे परिसर में मौजूद हैं।

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Bhilwara Bijolia Vindhyavasini Mata Temple

Bijolia Vindhyavasini Mata Temple

बिजौलियां (भीलवाड़ा): बिजौलियां कस्बे में स्थित विंध्यवासिनी माता मंदिर में नवरात्र में लगातार श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। आसपास के गांव से भी श्रद्धालु आ रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से लकवाग्रस्त रोगी यहां पर आते हैं और यहां पर ही परिसर में रुकते हैं।


बता दें कि लकवाग्रस्त रोगी शाम की आरती में परिक्रमा लगाते हैं। मन्नत पूरी होने पर रोगी के परिजन मुर्गा चढ़ाते हैं। आज भी यहां पर पूरे परिसर में 200 से अधिक मुर्गे हैं। शाम होने पर सैकड़ों की संख्या में पक्षी मंदिर के शिखर पर चक्कर लगाते हुए नजर आते हैं। रात्रि में यह पक्षी पेड़ों पर आकर बैठते हैं।


साल 1972 के बाद लोगों की आस्था बढ़ी


साल 1972 के बाद मंदिर के प्रति धीरे-धीरे लोगों में आस्था बढ़ी है। यहां हॉल का निर्माण भी कराया गया, जिसकी लागत करीब एक करोड़ रुपए से अधिक है। इसमें 2000 व्यक्ति बैठ सकते हैं।


मुख्य प्रवेश द्वार ऊपर माल खेराड बरड़ क्षेत्र के किराड़ समाज की ओर से बनाया गया है। यहां पर रुकने वाले रोगी से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। वह एक और दो महीने तक रुकते हैं, उसके बाद ठीक होकर चले जाते हैं।


करीब 200 लोग यहां आकर रुके


नवरात्र में करीब 200 से अधिक रोगी यहां पर रुके हुए हैं। इनके भोजन के लिए दानदाता घनश्याम पुरुषोत्तम और ब्रिजेश पुरोहित संस्थान की ओर की गई है। विंध्यवासिनी प्रबंध कार्यकारिणी के कोषाध्यक्ष शक्ति नारायण शर्मा ने बताया कि प्रति महीने में अमावस्या के दिन दान पेटी खोली जाती है।


उससे निकलने वाली राशि का उपयोग क्षेत्र परिसर के विकास कार्य में किया जाता है। तालाब का स्वरूप न बिगड़े, इसलिए पिलर पर 100 गुना 100 का हाल बनाया गया है।