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मछली शिकार पर राजस्थान में सख्त कार्रवाई, 25 हजार जुर्माना, इस जिले में बड़े पैमाने पर सक्रिय हैं शिकारी

संशोधित राजस्थान मत्स्य विधेयक को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए मत्स्य विभाग ने मशक्कत शुरू कर दी है। राजस्थान मत्स्य क्षेत्र (संशोधन) विधेयक- 2025 विधानसभा के मानसून सत्र में पारित किया गया।

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Rajasthan

मछलियों का शिकार किया तो भरना पड़ेगा जुर्माना

भीलवाड़ा: प्रदेश में बांधों और तालाबों पर अवैध तरीके से मछलियों के शिकार को रोकने के लिए राज्य सरकार ने जुर्माना कई गुना बढ़ाते हुए 25 हजार रुपए तक कर दिया है। इसके साथ ही सजा का प्रावधान भी और कड़ा किया है।


भीलवाड़ा जिले में संशोधित राजस्थान मत्स्य विधेयक को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए मत्स्य विभाग ने मशक्कत शुरू कर दी है। राजस्थान मत्स्य क्षेत्र (संशोधन) विधेयक- 2025 विधानसभा के मानसून सत्र में पारित किया गया।


इसके अनुसार अब बिना अनुज्ञा पत्र के मछली पकड़ने, विस्फोटक अथवा विष डालकर मछली मारने जैसे मत्स्य अपराधों पर जुर्माना बढ़ाया गया है। अब तक पहली बार अपराध साबित होने पर 500 रुपए की शास्ति, 3 माह कैद की सजा या दोनों का प्रावधान था। इस शास्ति को अब 25000 रुपए किया गया है।


दोबारा अपराध पर 50 हजार का जुर्माना


इसी प्रकार दोबारा अपराध सिद्धि पर शास्ति राशि को 1 हजार रुपए से बढ़ाकर 50 हजार रुपए किया गया है। अब दोबारा अपराध करने पर 6 माह की जेल या शास्ति या दोनों का प्रावधान है। इसके बाद भी अपराध करने पर हर अपराध पर यह शास्ति या जेल या दोनों का प्रावधान है।


पहले पांच सौ की शास्ति थी


मत्स्य अपराधों में न्यायालय के अपराधी पर शास्ति लगाए जाने के प्रावधान हैं। इनमें लंबे समय से शास्तियां नहीं बढ़ाई गई थी। अभी पहली बार अपराध पर शास्ति 500 रुपए की शास्ती लगाई जाती है, जिसे अब 25 हजार रुपए किए जा रहा है।


राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि मत्स्य संबंधी अपराधों के लिए निदेशक मत्स्य को अधिकृत किया गया है। मूल अधिनियम के सेक्शन-11 में किए पूर्व संशोधन में 100 रुपए शास्ति का प्रावधान था। इसे भी बढ़ाकर 25 हजार रुपए किया गया है।


अधिकांश बांध और तालाब लबालब


भीलवाड़ा में मानसून की मेहर होने से अधिकांश बांध व तालाब लबालब है। बनास व कोठारी नदियों में भी जल प्रवाह वेग से बना हुआ है। मत्स्य विभाग, जिला परिषद अधिकांश बांध व तालाब मत्स्य पालन के लिए ठेके पर छोड़ चुकी है।


इनमें मेजा, कोठारी, जैतपुरा, गोवटा, मंडोल से बड़े स्तर पर मत्स्य उत्पादन की संभावना है। जिले में भी बड़ी संख्या में अवैध मत्स्य आखेट होने से मत्स्य ठेकेदारों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।


एक सिंतबर से मत्स्य आखेट


भीलवाड़ा में राज्य सरकार ने 1 सिंतबर से मत्स्य आखेट में छूट प्रदान कर दी है। मत्स्य आखेट राजस्थान मत्स्य क्षेत्र (संशोधन) विधेयक- 2025 में तय प्रावधानों क अनुरूप किया जा सकता है। बिना लाइसेंस मत्स्य आखेट करते पाए जाने पर आरोपी को बड़ा जुर्माना भरना होगा।