
राजस्थान की 4 हस्तियों को पद्मश्री सम्मान, नाम जानकर करेंगे गर्व, इनमें हैं दो सगे भाई
संरक्षण की दरकार, पीढ़ी विमुख नहीं होगी
[typography_font:14pt]पुरस्कार की घोषणा के बाद राजस्थान पत्रिका से बातचीत में जानकीलाल ने कहा कि कला को सरकारी संरक्षण जरूरी है। इसके बिना अगली पीढ़ी इससे विमुख हो रही है। जानकीलाल ने बताया कि राजा-महाराजाओं व सियासत काल में मनोरंजन के रूप में बहरूपिया कला को विशिष्ट दर्जा था। तब कई परिवार इस कला को संभाले थे। इसमें विविधिता लाने की कोशिश करते थे। राजा महाराज खुश होकर कलाकारों को अपनी जागीर तक दे देते थे। इनाम की बारिश त्योहार व शुभ अवसरों पर होती थी, लेकिन वक्त के साथ सब कुछ बदल गया। जब कद्रदान ही नहीं रहे तो इस कला की कद्र अब कम होने लगी है।
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कभी पठान तो कभी भोले बने
गत 65 साल से नाना वेशभूषा पहनकर लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। वे गाडोलिया लुहार, कालबेलिया, काबुली पठान, ईरानी, फकीर, राजा, नारद, भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती, साधु, दूल्हा-दुल्हन आदि विभिन्न स्वांग रचते हैं। उम्र ढलने के बावजूद कला लोगों को मुरीद किए हुए हैं।
Published on:
26 Jan 2024 02:13 pm
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