किशोरी ने पुलिस को बताया कि उसकी सौतेली मां व पिता उसे बड़े पापा की कार में बिठाकर भीलवाड़ा चाचा और चाची से मिलने की बात कहकर मुंबई से निकले थे। देर रात को शकक्करगढ थाना क्षेत्र के सुनसान जंगल व बनास नदी किनारे टॉयलेट करने रुके तो वह भी वहां टॉयलेट करने उतरी। वे लोग उसे वहीं छोड़ कर तेज गति से गाड़ी दौड़ाकर भाग निकले। वहीं दौड़ती चिल्लाती रही लेकिन उन्होंने गाड़ी नहीं रोकी। वह रोती हुई सुनसान जंगलों में होती हुई नदी के बीच पानी में होती हुई किनारे पर पहुंची और दूर कहीं लाइट की रोशनी देखी तो वहां पहुंची। किसी बुजुर्ग व्यक्ति ने थाने में फोन करके सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस को देखते ही किशोरी की जान में जान आई। किशोरी ने पुलिस को आपबीती बताई। पुलिस ने किशोरी को पहले खाना खिलाया तथा उसे महिला एवं बाल कल्याण समिति भीलवाड़ा भिजवाया।
किशोरी ने बताया कि वह अपने भाई के पास रहना चाहती है
किशोरी का कहना है कि वह 12वीं कक्षा तक पढ़ी है। वह अब सौतेली मां व पिता के पास नहीं रहना चाहती। वह अपने से छोटे सौतेले भाई के पास ही रहना चाहती है।
दिनोंदिन बढ़ता गया सौतेली मां का जुल्म, तो पिता ने भी दिया साथ
वह बताती है कि आठ साल पहले उसकी मां की मौत के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली और नौकरी भी छोड़ दी। शादी के बाद सौतेली मां उसे रोजाना टॉर्चर करने लगी। दिनोंदिन उसके जुल्म बढ़ते गए। फिर पिता ने भी मां का साथ दिया और वे भी मारने लगे।