scriptनगर परिषद में सभापति व आयुक्त के बीच खींचतान का शहर के विकास में क्या पड़ा असर, जानकर चौक जाएंगे आप | stretch between the chairman and commissioner in bhilwara | Patrika News

नगर परिषद में सभापति व आयुक्त के बीच खींचतान का शहर के विकास में क्या पड़ा असर, जानकर चौक जाएंगे आप

locationभीलवाड़ाPublished: May 16, 2018 04:33:35 pm

Submitted by:

tej narayan

नगर परिषद के खजाने में करोड़ों रुपए पड़े हैं लेकिन शहर के विकास पर खर्च में हर साल कंजूसी बरती जा रही है

stretch between the chairman and commissioner in bhilwara

stretch between the chairman and commissioner in bhilwara

भीलवाड़ा।

नगर परिषद के खजाने में करोड़ों रुपए पड़े हैं लेकिन शहर के विकास पर खर्च में हर साल कंजूसी बरती जा रही है। तीन साल का आंकड़ा देखे तो परिषद ने मेंटेनेस के नाम पर खर्च बढ़ा दिया लेकिन विकास में पैसा होने के बावजूद भी काम नहीं कराए।
READ: भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को लेकर आई बड़ी खबर: केंद्रीय नेतृत्व करेगा तय, फिलहाल कर्नाटक में बनाने जा रहे है सरकार

राजस्थान पत्रिका ने नगर परिषद के तीन साल का हिसाब-किताब देखा तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है। इसमें सामने आया कि परिषद के करीब 1150 कर्मचारियों को हर माह 03 करोड़ रुपए का वेतन बंटता है। इसके मुकाबले विकास के काम आधे भी नहीं हो रहे हैं। वर्ष 2015-16 में परिषद में विकास पर 22 करोड़ 23 लाख 90 हजार रुपए खर्च किए। 2016-17 में यह आंकड़ा घटकर 10 करोड़ 95 लाख 61 हजार रह गया। वर्ष 2017-18 में मात्र 08 करोड़ 05 लाख 95 हजार रुपए ही खर्च किए गए। मतलब यह है कि शहर में हर साल विकास के काम घट रहे हैं।
READ:जान‍िए मनचलों की हरकतों का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए किस जगह पर हिट करने से क्रिमिनल को लग सकती है ज्यादा चोट


परिषद में हो रहे खर्च का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि करीब 1150 कर्मचारियों को हर माह करीब तीन करोड़ रुपए का वेतन बांटा जा रहा है। अब सातवें वेतन आयोग के बाद यह खर्च और बढ़ गया है। पूरे साल में करीब 36 करोड़ रुपए वेतन पर खर्च कर दिए जबकि नया विकास मात्र आठ करोड़ का ही किया गया, जबकि परिषद के पास खजाने में करीब 50 करोड़ पड़े हैं।
दो की लड़ाई में जनता का नुकसान
परिषद में आयुक्त पद्मसिंह नरूका व सभापति ललिता समदानी में विवाद है। दोनों एक-दूसरे से बोलना भी जरूरी नहीं समझते हैं। आयुक्त ने सभापति से शहर के विकास पर एक भी बार बात नहीं की। आयुक्त के पास फाइल जाने पर उस पर चर्चा लिख दिया जाता है। इस चर्चा में कई जरूरी फाइलें अटकी है। पार्षदों ने प्रस्ताव दे रखे हैं पर दोनों की लड़ाई में काम नहीं हो रहा है।
कमाई में आगे परिषद
परिषद कमाई में अव्वल है। नगरीय विकास कर, भूमि कर, भूखंड नीलामी आदि से खूब कमाई होती है। परिषद के खजाने में 40 से 50 करोड़ रुपए हैं।वर्ष 2015-16 में 10368.85 लाख की आय हुई। 2016-17 में 10773.33 लाख तथा वर्ष 2017-18 में 11009.40 लाख कमाए। खर्च में कंजूसी बरती।
यूं समझे परिषद का हिसाब किताब

वर्ष रख-रखाव नए विकास
2015-16 2799.31 लाख 2223.90 लाख
2016-17 4017.69 लाख 1095.61 लाख
2017-18 3350.03 लाख 805.95 लाख

फाइल आयुक्त ने आगे नहीं बढ़ाई
शहर में विकास जरूरी है। अभी 86 काम के प्रस्ताव तैयार किए। फाइल आयुक्त के पास गई है लेकिन आगे बढ़ाना जरूरी नहीं समझा। इस तरह सीट पर बैठकर काम नहीं करना, शहर से धोखा है। हमारे पास पैसा होते हुए भी नए काम नहीं करा पा रहे हैं। सभी पार्षदों ने काम दे रखे हैं।
ललिता समदानी, सभापति नगर परिषद
जो प्रस्ताव दे रहे हैं, उनकी फाइल तैयार
शहर में विकास हो, हम भी यही चाहते हैं। कुछ वार्डों के ही प्रस्ताव आए थे इसलिए उन पर चर्चा लिखा गया। सभी जगह के प्रस्ताव आएंगे तो जरूर स्वीकृति दी जाएगी। बाकी जो रुटीन के काम है वे पूरे हो रहे हैं। जो पार्षद प्रस्ताव दे रहे हैं उनकी फाइल तैयार करवा रहे हैं।
पद्म सिंह नरुका, आयुक्त नगर परिषद
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो