
The maternal and negligence of their families in bhilwara
भीलवाड़ा।
मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में इस साल 155 बच्चों ने मां की कोख में ही दुनिया छोड़ दी। इसका सबसे बड़ा कारण प्रसूताओं और उनके परिजनों की लापरवाही रही। गर्भवती होते ही ये महिलाएं डॉक्टर की सलाह ले लेती तो शायद ये बच्चें दुनिया देख पाते। इसके अलावा 312 मासूम कम वजन के पैदा हुए।
केन्द्र व राज्य सरकार की गर्भवती महिलाओं के लिए कई योजनाएं हैं, जो गर्भकाल शुरू होने से प्रसव तक सुविधाएं देती है। सरकारी आंकड़ों पर नजर डाले तो जिले के जनाना अस्पताल में इस जनवरी से मई तक 155 मासूम गर्भ में दम तोड़ चुके। प्रथम दृष्टया इन प्रसूताओं ने नौ माह के बीच किसी चिकित्सक की सलाह नहीं ली। जबकि महिलाओं को गर्भवती होते ही चिकित्सकों की सलाह लेनी चाहिए।
जनाना अस्पताल के गायनिक चिकित्सक डॉ. नवीन भडाणा ने कहा, गर्भकाल में खानपान का ध्यान नहीं रखने व समय-समय पर चिकित्सक से परामर्श नहीं लेने के नतीजे बुरे हो सकते है। इस अवधि में लापरवाही से बच्चे की जान जा सकती है और बच्चे कम वजनी भी पैदा हो सकते है। गर्भकाल के दौरान महिलाओं को खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आयरन व केल्शियम टेबलेट के साथ ही हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध व प्रोटीन युक्त खाद्य सामग्री लेनी चाहिए। गर्भकाल के दौरान 4-5 बार चिकित्सकीय परामर्श व अनिवार्य जांच करानी चाहिए। एनीमिया, थायराइड, उच्च रक्तचाप की शिकायत वाली महिलाओं को डॉक्टर से परामर्श लेकर खानपान का विशेषा ध्यान रखना चाहिए। पचास से साठ फीसदी बच्चों की मौत इन्हीं कारणों से होती है।
आंकड़ों पर एक नजर
माह डिलेवरी कोख में मृत बच्चे कम वजनी बच्चे
जनवरी 1225 13 मेल 17 फिमेल 71
फरवरी 1013 14 मेल 15 फिमेल 65
मार्च 1058 16 मेल 17 फिमेल 65
अप्रेल 975 17 मेल 14 फिमेल 50
मई 1224 13 मेल 19 फिमेल 61
कुल 5495 73 मेल 82 फिमेल 312
Published on:
11 Jun 2018 09:13 am
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